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मंदिरयात्रा

माँ वैष्णो देवी और वैष्णो देवी दर्शन को लेकर भक्तो की मान्यता

Mata Vaishno Devi

कौन है माँ वैष्णो देवी और वैष्णो देवी दर्शन को लेकर भक्तो की मान्यता, माँ वैष्णो देवी दर्शन की जानकारी

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माँ वैष्णो देवी और वैष्णो देवी दर्शन को लेकर भक्तो की मान्यता

Who is the recognition of devotees with respect to Maa Vaishno Devi and Vaishno Devi Darshan

गर्भ जून गुफा में माँ वैष्णो देवी करती रही नो महीने तपस्या

जय माँ वेष्णो देवी, जय माँ शेरावली, जय माँ महाकाली

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कौन है माँ वेष्णो देवी – Who is Mother Veshno Devi

असक्षम को सक्षम करने वाली शक्ति को ही माँ के नाम से जाना जाता है भारतीय दर्शन मे प्रभु के निराकार रूप को ही शिव ओर शक्ति के साकार रूप मे जाना जाता है । माता की पुजा या शक्ति की पुजा करने की परंपरा हमारे देश मे सदियो से चली आ रही है । माँ वैष्णो देवी एक ऐसी शक्ति है जो की नहीं होने पर भी हमे होने का अहसास करवाती है । जो की हमारी कल्पनाओ से परे है ओर हमे हर बुराइयों से दूर रखती है । माता वैष्णो देवी को सिद्ध शक्ति पीठ की मान्यता प्राप्त है जो की महासरस्वती, महाकाली, ओर महालक्ष्मी इन तीनों का रूप है।

माँ वैष्णो देवी से जुड़ी कहानी – Story related to Mother Vaishno Devi

माँ वैष्णो देवी को लेकर यह मान्यता है की लगभग 700 वर्ष पहले त्रिकुटा पर्वत की तलहटी मे बसे गाँव हंसाली के माँ के उपासक

श्रीधर को माँ वैष्णो देवी ने एक दिव्य कन्या के रूप मे दर्शन दिये ओर उन्हे अपने घर

रने का आदेश दिया ओर वह दिव्य कन्या अंतर ध्यान हो गई ।

श्रीधर एक गरीब ब्राह्मण था ओर इतने बड़े भंडारे का आयोजना करना उसके लिए संभव नहीं था ।

लेकिन उसने उस दिव्य कन्या की आज्ञा के अनुसार पूरे गाँव मे भंडारे का निमंत्रण देने चला ।रास्ते मे पंडित श्रीधर को गुरु गोरखनाथ ओर उसके शिष्य भेरोनाथ मिल गए

श्रीधार ने उन्हे भी माँ के भंडारे मे आने का निमंत्रण दिया

ओर वे सही समय पर अपने 360 शिष्यो के साथ श्रीधर के घर पहुच गए।

श्रीधर बहुत परेशान थे की उन्होने इनते बड़े भंडारे का आयोजन तो कर लिया लेकिन

अब उन्हे भोजन कहा से करवाए इतने मे ही माता रानी दिव्य कन्या के रूप मे प्रकट

होकर सबको उनकी पसंद के अनुसार भोजन करवाने लगी ।श्रीधर के घर इतने बड़े भंडारे को देखकर सब हैरान थे की एक गरीब ब्राह्मण के पास इतनी सारी सुविधाए कैसे की इसके पास तो खुद खाने ले लिए भी अनाज नहीं था ।लेकिन ये तो सब माता रानी की कृपा थी । स बको अपनी पसंद का भोजन परोसते देखकर भैरोंनाथ ने दिव्य कन्या से मांस की मांग की तब माता रानी को क्रोध आया ओर वह कन्या बोली की यह एक ब्राह्मण के घर का खाना है यहाँ आपको केवल शुद्ध शाकाहारी भोजन ही मिलेगा । भैरोंनाथ हट करने लगा तो वह कन्या वहाँ से अद्रश्य हो गई । कन्या के अद्रश्य होने पर भेरोंनाथ ने अपनी योग माया से उस कन्या को त्रिकुटा पर्वत की ओर जाते देखा ओर उसका पीछा किया।

भेरोंनाथ ने किया माँ वैष्णो देवी का पीछा

भेरोंनाथ ने दिव्य रूपी कन्या का पीछा करते हुये सबसे पहले बाणगंगा

फिर चरण पादुका ओर आदिकुमारी स्थानो से होते हुए माता रानी की उस गुफा तक जा पहुचा जहां पर माता

आदिशक्ति अपने तीन पिंडियो के रूप मे विराजमान है । भेरोंनाथ को यह समझाया गया की वह दिव्य कन्या का पीछा छोड़कर वापस लॉट जाए लेकिन भेरोंनाथ ने अपनी हट नहीं छोड़ी ओर माता को क्रोध आया ओर माता रानी ने अपने त्रिशूल से भेरोंनाथ का सिर धड़ से अलग कर दिया भेरोंनाथ का सिर 2 किलोमीटर दूर जाकर गिरा।

तब भेरोंनाथ ने अपने अंत समय मे अपने मुख से माँ का नाम लिया ओर कहने लगा की हे

माँ मुझ पापी को क्षमा करो, हे माँ मुझे क्षमा कर क्षमा करो माँ दया करो माँ,

भेरोंनाथ के मुख से माँ का नाम सुनकर माता वेष्णो देवी ने भेरोंनाथ को क्षमा कर दिया ओर भेरोंनाथ पर अपनी कृपा करके माँ वेष्णो देवी ने उसे वरदान दिया की जो भी भक्त मेरे दर्शन करेंगे उनको मेरे दर्शन का लाभ तभी मिलेगा जब वे जाते समय तुम्हारे दर्शन करेंगे।

वर्तमान मे उसी स्थान पर भेरों मंदिर बना हुआ है ओर गुफा के बाहर जो पत्थर है

उस पत्थर को लेकर भक्तो की अलग-अलग मान्यताए है कुछ भक्तो का यह मानना है

की यह पत्थर भेरों का धड़ है जो की बाद मे पत्थर बन गया ।

ओर इस स्थान को भेरों घाटी के नाम से जाना जाता है।

भेरों मंदिर को लेकर भक्तो मान्यता

यहाँ के हवन कुंड भस्म को लगाने से बुरी आत्माओ से मुक्ति मिलती है ओर वे शांत हो जाती है । बहुत से भक्त इस भस्म को घर की सुख शांति के लिए भी अपने घर लेकर जाते है।

भक्त श्रीधर ने खोजी माँ वेष्णो देवी की गुफा

जब अचानक से दिव्य कन्या अद्रश्य हो गई तो पंडित श्रीधर बेचेन होकर खाना-पीना सब छोड़ दिया

ओर फिर एक रात माँ वेष्णवी ने भक्त श्रीधर को दर्शन देकर त्रिकुट पर्वत पर अपने स्थान की खोज करने के लिए कहाँ । ओर श्रीधर ने अपने स्वप्न के अनुसार माता के स्थान की खोज करने लगा ओर खोजते – खोजते माता रानी की गुफा तक पहुच गया । गुफा के अंदर जाने पर श्रीधर को तीन पिंडियो के दर्शन हुए, ये तीनों पिंडिया एक शीला पर विराजमान थी। उस समय माँ वेष्णवी अपने आलोकिक ( दिव्य रूप ) रूप मे प्रकट होकर भक्त श्रीधर को दर्शन दिये ओर तीनों पिंडियो का परिचय करवाया माँ ने तीनों पिंडियो के नाम महालक्ष्मी, महाकाली, महासरस्वती बताया । ओर माँ वेष्णवी ने भक्त श्रीधर को चार पुत्रो का वरदान दिया ओर अपनी पुजा का अधिकार दिया । आज भी माता रानी के इस मंदिर मे माता की पुजा पंडित श्रीधर के वंशज ही करते है।

माँ वैष्णो देवी की गुफा

माँ वैष्णो देवी की गुफा का द्वारा छोटा है इसलिए लगभग लेटकर ही गुफा के अंदर जाना होता है ।

गुफा के अंदर घुटनो तक शीतल जल प्रवाहित होता है । माता रानी की इस गुफा की लंबाई 18 मीटर है । पावन पिंडियो से ठीक पहले नई गुफा का निकास द्वार है

भक्तो की बदती हुई भीड़ को देखते हुए अब यहाँ पर दो नई गुफाओ का निर्माण किया गया है।

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