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हवा में रहता है ब्लैक फंगस, देशभर के डॉक्टर्स ने दी जानकारी – कैसे करें पहचान एवं इलाज

हवा में रहता है ब्लैक फंगस, देशभर के डॉक्टर्स ने दी जानकारी – कैसे करें पहचान एवं इलाज

देश के कई राज्यों में म्यूकरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस नई दशहत के रूप में सामने आया है। रोजाना इसके नए मामलों ने चिंता बढ़ा दी है। ऐसे में थोड़ी सतर्कता बरतकर हम इस फंगस से खुद को बचा सकते हैं। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की तरफ से जारी एडवाइजरी आपके बेहद काम की हो सकती है। आइए जानते हैं कि ब्लैक फंगस क्या है, इसके लक्षण क्या हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है।

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हवा में होता है ब्लैक फंगस

म्यूकरमाइकिस एक फंगल इन्फेक्शन है। यह उन लोगों को प्रभावित करता है, जिनका इम्यून सिस्टम किसी बीमारी या इसके इलाज की वजह से कमजोर हो जाता है। ये फंगस हवा में मौजूद होता है और ऐसे लोगों में पहुंचकर उनको संक्रमित करता है।

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ब्लैक फंगस के लक्षण

  • आंख और नाक के आसपास दर्द या लालिमा
  • बुखार
  • सिर दर्द
  • खांसी
  • सांस लेने में परेशानी
  • उल्टी में खून
  • मेंटल कन्फ्यूजन

इनको है ज्यादा खतरा

  • जिनको अनकंट्रोल्ड डायबीटीज हो
  • स्टेरॉयड ले रहे हों
  • लंबे वक्त तक आईसीयू में रहे हों
  • किसी तरह का ट्रांसप्लांट हुआ हो
  • वोरिकोनाजोल थेरेपी ली हो (एंटीफंगल ट्रीटमेंट)

ब्लैक फंगस से कैसे कर सकते हैं बचाव

धूल-मिट्टी भरी कंस्ट्रक्शन साइट पर जाएं तो मास्क जरूर पहनें।
बागवानी या मिट्टी से जुड़ा काम करते वक्त जूते, फुल पैंट्स-शर्ट और दस्ताने पहनें।
पर्सनल हाईजीन का ध्यान रखें। रोजाना अच्छी तरह नहाएं।

हवा में रहता है ब्लैक फंगस

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इन बातों को ना करें इग्नोर

(कोरोना, डायबीटीज और इम्यूनो सप्रेसेंट ट्रीटमेंट पर हैं तो)

नाक जाम है या नाक से काला या खूनी पदार्थ निकले।
गाल की हड्डी में दर्द हो।
नाक/तालू के ऊपर कालापन आ जाए।
दांत में दर्द हो, दांतों में ढीलापन लगे, जबड़े में दिक्कत हो।
त्वचा में घाव, बुखार, दर्द या धुंधलापन दिखे, खून का थक्का जमे।
छाती में दर्द हो, सांस लेने में दिक्कत हो।

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इन बातों का रखें ध्यान

खून में ग्लूकोज की मात्रा को नियंत्रित रखें।
कोविड ठीक होने के बाद डायबीटीज रोगी ब्लड ग्लूकोज पर नजर रखें।
स्टेरॉयड डॉक्टर की सलाह पर ही लें। इनका सही समय, सही खुराक और सही समय तक ही इस्तेमाल करें।
ऑक्सीजन थेरेपी के लिए साफ और स्टेराइल पानी का ही इस्तेमाल करें।
एंटीबायोटिक और एंटीबायोटिक दवाओं का सोच-समझकर इस्तेमाल करें।

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ना करें ये गलतियां

ब्लैक फंगस के लक्षणों को अनदेखा ना करें।
अगर नाक बंद है तो इसे साइनेसाइटिस ना समझें खासतौर पर आप अगर हाई रिस्क कैटिगरी में हों।
डॉक्टर की सलाह पर KOH staining & microscopy, culture, MALDI-TOF जांचें करवाएं।
इलाज में देर ना करें, पहला लक्षण दिखते ही अलर्ट हो जाएं।

कैसे संभालें स्थिति (चिकित्सक की निगरानी में)

डायबीटीज और डायबीटीज केटोएसिडोसिस को कंट्रोल करें।
अगर मरीज स्टेरॉयड ले रहा है तो इन्हें बंद करने के लिए धीरे-धीरे कम कर दें।
इम्यूनोमॉड्यूलेटिंग दवाएं बंद कर दें।
पहले से ही एंटीफंगल दवाएं ना लें।
रेडियो-इमेजिंग से मॉनिटरिंग करें।

नोट:- यह जानकारी स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार की तरफ से जारी की गई है।

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