प्राचीन भारतीय इतिहास: ऋग्वैदिक कालीन साहित्य

प्राचीन भारतीय इतिहास: ऋग्वैदिक कालीन साहित्य
ऋग्वेद विश्व के इतिहास की सबसे पुरानी पुस्तक है | ऋग्वेद की रचना ऋग्वैदिक काल में हुई बाकी तीनों वेद यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद की रचना उत्तर वैदिक काल में हुई | वेदांग, पुराण, उप-पुराण, आरण्यक, उपनिषद, आदि की रचना भी उत्तर वैदिक काल में ही हुई |
ऋग्वेद
Rigveda विश्व की प्राचीनतम पुस्तक है, इसमें 10 मंडल और 1028 सूक्त हैं | ऋग्वेद संस्कृत भाषा में लिखे गए हैं | ऋग्वेद के दूसरे से सातवें मंडल सबसे पुराने हैं | जबकि ऋग्वेद का दसवां मंडल सबसे नया है | ऋग्वेद का पाठ करने वाले को होता अथवा होत्री कहा जाता है | गायत्री मंडल Rigveda के तीसरे मंडल में है, इसके रचनाकार विश्वामित्र है, यह मन्त्र सूर्य देवता को समर्पित है | प्राचीन भारतीय इतिहास
वेदों की भाषा पद्यात्मक है, इसमें लोपामुद्रा, घोष, अपाला, विश्ववारा, सिकता, शची, पौलोमी और कक्षावृत्ति आदि स्त्री विद्वानों ने कई मन्त्रों की रचना की है | ऋग्वेद के दूसरे से आठवें मंडल के रचयिता गृत्समद, विश्वामित्र, वामदेव, अत्रि, भारद्वाज, वशिष्ठ, कण्व व अंगीरा हैं |
प्राचीन भारतीय इतिहास
Rigveda की पांच शाखाएं – शाकल, वाष्कल, आश्वलायन, शांखायन और मंडूकायन हैं | ऋग्वेद का नौंवा मंडल सोम को समर्पित है | ऋग्वेद के दसवें मंडल को पुरुषसूक्त भी कहा जाता है, इसमें शूद्रों का उल्लेख किया गया है | दसवें मंडल में नासदीय सूक्त, सवांद सूक्त तथा विवाह सूक्त का वर्णन किया गया है |
ब्राह्मण ग्रंथ
वेदों की गद्य रचना को ब्राह्मण ग्रंथ कहा जाता है | ब्राह्मणों की रचना कर्मकांडों की जटिल व्याख्या का सरल वर्णन करने के लिए की गयी थी |
ब्राह्मण ग्रन्थों की रचना ऋग्वेद के समय से ही शुरू हुई | ऋग्वेद के ब्राह्मण ग्रंथ ऐतरेय और कौशितिकी हैं | ऐतरेय ब्राह्मण की रचना महिदास ऐतरेय ने की थी, इसमें राज्याभिषेक के नियमों का विवरण दिया गया है |
कौशितिकी ब्राह्मण को शंखायन भी कहा जाता है | इसकी रचना शंखायन अथवा कौशितिकी द्वारा की गयी थी | इसमें मानव के व्यवहार के सन्दर्भ में निर्देश लिखित हैं |
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