ताजा अपडेट के लिए टेलीग्राम चैनल जॉइन करें- Click Here
सक्सेस स्टोरी

भारतीय चित्रकला इतिहास व संपूर्ण जानकारी

भारतीय चित्रकला इतिहास व संपूर्ण जानकारी


प्राचीन भारतीय चित्रकला

भारत में चित्रकला का इतिहास प्रागैतिहासिक काल से शुरू होता है। प्रागैतिहासिक काल उस काल को कहा जाता है जिसका कोई लिखित वर्णन नहीं है। प्रागैतिहासिक काल में चित्रकारी गुफाओं में की जाती थी। प्रागैतिहासिक कालीन भारतीय चित्रकला का उत्कृष्ट नमूना भीमबेटका की गुफाएँ हैं जो वर्तमान मध्य प्रदेश में हैं।

भीमबेटका

भीमबेटका की गुफाएँ मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में है। इनकी खोज डॉ विष्णु वाकणकर ने 1957-58 में की थीं। यह यूनेस्को की विश्व धरोहर है और यहाँ 750 से अधिक पत्थर की गुफाएँ हैं। इनकी दीवार पर प्रागैतिहासिक काल की चित्रकारी है। यहाँ के सबसे पुरानी चित्रकारी 30,000 साल पुरानी है। यहाँ पुरा पाषाण काल, मध्य पाषाण काल, नव पाषाण काल, ताम्रकाल, प्राचीन और मध्य कालीन चित्रकारी है। पुरा पाषाण कालीन चित्रकारी में हिरण, गेंडा, शेर का चित्र प्रमुख है। मध्य पाषाण कालीन चित्रकारी में शिकार, जनजातीय युध्द जैसी चित्रकारियाँ है। इसके बाद की चित्रकारी में यक्ष, वनदेव-वनदेवी, आसमानी रथ जैसे चित्र प्रमुख हैं।

  • हड़प्पा सभ्यता में चित्रकला का बहुत महत्व रहा। हड़प्पा कालीन स्थलों से खुदाई के दौरान मुहरों पर अलंकृत चित्रकला इसका अप्रतिम उदाहरण हैं। हड़प्पा सभ्यता की मुहरों पर हाथी, बैल, घोड़ा, आदि अंकित हैं। यहाँ से पशुपतिनाथ की मुहर भी प्राप्त हुई है।
  • प्राचीन भारत में हिंदू, बौध्द और जैन तीनों ही धर्मों में चित्रकला का बहुत योगदान रहा। रामायण, महाभारत में भी चित्रकला की प्रस्तुति देखि जाती है। प्राचीन भारत के साहित्य पर चित्रकला का विशेष प्रभाव रहा है। बौध्द धर्म के विनय पिटक में चित्रकला का वर्णन किया गया है। मुद्राराक्षस नामक नाटक, जो कि पाँचवीं सदी में लिखा गया था, में भी चित्रपटों का वर्णन किया गया है।

भारतीय चित्रकला इतिहास

ऐलोरा की गुफाएँ

  • ऐलोरा की गुफाएँ भी महाराष्ट्र प्रदेश के औरंगाबाद जिले में हैं। ये बौध्द, हिंदू और जैन धर्म की चित्रकारी से संबंधित गुफाएँ हैं। यहीं पर प्रसिद्ध कैलाश मंदिर है जिसे राष्ट्रकूट राजा कृष्ण प्रथम ने बनवाया।
  • बाघ की गुफाएँ- बाघ की गुफाएँ बौध्द धर्म से संबंधित हैं। ये मध्य प्रदेश के धार जिले में है। यह प्राचीन भारतीय चित्रकला का बेहद उत्कृष्ट नमूना है। इनका विकास 5वीं से छठी शताब्दी के बीच हुआ था।
  • अन्य प्राचीन भारतीय गुफाओं की चित्रकारी- भारत में गुफाओं में चित्रकारी का इतिहास बेहद प्राचीन है। अजंता, एलोरा, बाघ की गुफाओं के अलावा तमिलनाडू की नीलगिरि की पहाड़ियों में कुमुट्टीपथी, मवादईप्पू, कारिककियूर में गुफा चित्रकारी भीमबेटका इटिनी ही पुरानी है। कर्नाटक में बादामी के निकट हिरेगुड्डा में भी गुफाओं में चित्रकारी की गयी है। इसके अलावा ओडिशा की गुड़ाहंदी, योगिमाथा की चित्रकारी प्रसिद्ध है।
  • सातवीं शताब्दी में विष्णुधर्मोत्तर पुराण में ‘चित्रसूत्र’ नामक अध्याय चित्रकला से संबंधित है।

चित्रकला के षडांग

तीसरी सदी में वात्सयायन ने कामसूत्र की रचना की। इसमें उन्होने चित्रकला के छः अंगों का वर्णन किया है| ये छः अंग इस प्रकार हैं- (1) रूपभेद (2) प्रमाण (3) भाव (4) लावण्य योजना (5) सादृश्य योजना (6) वर्णिकाभंग।

अजंता की गुफाएँ

अजंता की गुफाएँ महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में है। इनकी खोज 1819 में हुई। इन्हें 1983 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल घोषित किया। ये पत्थर से काटकर बनाई गईं गुफाएँ हैं। इन्हें बनाने में लगभग एक हजार साल का समय लगा। गुफाओं के निर्माण का प्रारम्भिक कार्य तवाहन काल में हुआ। बाद में अजंता की गुफाओं का निर्माण वाकाटक काल में भी हुआ। 16वीं गुफा में मरणासन्न राजकुमारी का चित्रकला है। 17 नंबर की गुफा का विकास हरिषेण ने कराया था और इसमें गौतम बुध्द के जीवन से संबन्धित चित्रकारी

मध्यकालीन भारतीय चित्रकला

  • पूर्वी भारत चित्रकला 10वीं शताब्दी में विकसित हुई। इसमें बौद्ध धर्म से संबंधित चित्रकला का प्रभाव है। इसके प्रमुख उदाहरण म्यांमार के बागान के मंदिरो, तिब्बत की चित्रकारी में देखे जा सकते हैं। पश्चिमी भारतीय चित्रकारी सूक्ष्म चित्रकारी के रूप में विकसित हुई और यह बेहद सुंदर चित्रकारी थी। यह हिंदू और जैन धर्म से मुख्य रूप से समबन्धित थी।
  • सल्तनत काल में भी मस्जिदों में चित्रकला का परभाव देखा जा सकता है। इसमें फारसी संस्कृति का प्रभाव देखा जा सकता है। यह प्रभाव भारत की हिंदू चित्रकारी पर भी पड़ा। बहमनी साम्राज्य, विजयनगर साम्राज्य और राजस्थान के राजपूतों ने भी चित्रकला को प्रोत्साहन दिया।
  • मुगल चित्रकला शैली का विकास फारसी और हिंदू चित्रकला के मिश्रण से हुआ। अकबर ने चित्रकला को प्रोत्साहन दिया। इसके अलावा आँय मुगल शासकों ने भी चित्रकला को प्रोत्साहन दिया।
  • जहाँगीर का समय- जहाँगीर के समय को मध्यकालीन चित्रकला का स्वर्णयुग कहा जाता है। जहाँगीर के दरबार में मंसूर, बिशनदास और मनोहर जैसे चित्रकार सुशोभित थे। जहाँगीर एक चित्रकृति में अलग-अलग चित्रकारों द्वारा बनाई गयी कृतियों को अलग पहचान सकता था। भारतीय चित्रकला इतिहास

आधुनिक भारतीय चित्रकला

यह चित्रकला में पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव देखने को मिलता है। राजा रवि वर्मा द्वारा बनाए गए देवी सरस्वती, उर्वशी-पुरुरवा, जटायु-मरण, के तैल चित्र आज भी बहुत प्रसिद्ध हैं।

आधुनिक काल की प्रमुख चित्रकृतियाँ

  • भारत माता- अबनींद्र्नाथ टैगोर
  • शकुंतला- राजा रवि वर्मा
  • उर्वशी-पुरुरवा- राजा रवि वर्मा
  • जटायु मरण- राजा रवि वर्मा
  • बापूजी- नंदलाल बोस
  • बिंदु- एस एच रज़ा
  • देवी सरस्वती- राजा रवि वर्मा
  • परशुराम, ब्रहमाजी, श्री राम- अनिरुद्ध साईनाथ

ललित कला अकादमी

आधुनिक काल में तकनीकी के विकास के साथ चित्रकला को प्रोत्साहन नहीं मिल सका है फिर भी अनेक चित्रकला अकादमी और संस्थाएं इस क्षेत्र में करी कर रही हैं। ललित कला अकादमी भारत में ललित कलाओं के विकास के लिए बनाई गयी है। चित्रकला को प्रोत्साहन देने में ललित कला अकादमी का विशेष योगदान रहा है। इसकी स्थापना 5 अगस्त 1954 को की गयी।

 

हमारे साथ Telegram पर जुड़े Click Here
सरकारी भर्तियों की अपडेट Whatsapp पर लेने के लिए इस नंबर को अपने मोबाइल मे सेव करे ओर Whatsapp से अपना नाम ओर पता लिखकर भेजे 7878656697

 

आज की सरकारी नौकरियों की जानकारी के लिए – यंहा क्लिक करें

 

ताजा अपडेट के लिए टेलीग्राम चैनल जॉइन करें- Click Here

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button