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आरती

माँ कालरात्रि की आरती – Kaalratri ki Aarti

कालरात्रि जय-जय-महाकाली। काल के मुह से बचाने वाली॥

कालरात्रि की आरती Kaalratri ki Aarti

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कालरात्रि जय-जय-महाकाली।
काल के मुह से बचाने वाली॥

दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा ।
महाचंडी तेरा अवतार ।।

पृथ्वी और आकाश पे सारा ।
महाकाली है तेरा पसारा ।।

खडग खप्पर रखने वाली ।
दुष्टों का लहू चखने वाली ।।

कलकत्ता स्थान तुम्हारा ।
सब जगह देखूं तेरा नजारा ।।

सभी देवता सब नर-नारी।
गावें स्तुति सभी तुम्हारी ।।

रक्तदंता और अन्नपूर्णा ।
कृपा करे तो कोई भी दुःख ना ।।

ना कोई चिंता रहे बीमारी ।
ना कोई गम ना संकट भारी ।।

उस पर कभी कष्ट ना आवें ।
महाकाली माँ जिसे बचाबे ।।

तू भी भक्त प्रेम से कह ।
कालरात्रि माँ तेरी जय ।।

मां कालरात्रि का मंत्र-

एक वेधी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता ।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकणी तैलाभ्यक्तशरीरिणी ।।

वामपदोल्लसल्लोहलताकण्टक भूषणा ।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी ।।

मां कालरात्रि की स्तुति

या देवी सर्वभू‍तेषु मां कालरात्रि रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।।

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