Khatu Shyam Ji Birthday, बाबा खाटू श्याम को क्यों कहा जाता है कलयुग का भगवान जानिए
Khatu Shyam Ji Birthday: बाबा खाटू श्याम का संबंध महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। माना जाता है खाटु श्याम पांडव पुत्र भीम के पौत्र थे। पौराणिक कथा के अनुसार, खाटू श्याम की अपार शक्ति और क्षमता से प्रभावित और खाटू श्याम का नाम पहले (बर्बरीक) था आप इस लेख को आखिर तक पढ़कर पूरी जानकारी प्राप्त करें।
खाटु श्याम जी पांडव पुत्र भीम के पौत्र थे। पौराणिक कथा के अनुसार, खाटू श्याम की अपार शक्ति और क्षमता से प्रभावित और खाटू श्याम (बर्बरीक) के शीश के दान से खुश होकर श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को वरदान दिया कि तुम कलियुग में बाबा श्याम के नाम से पूजे और जाने जाओगे। वरदान देने के बाद उनका शीश खाटू नगर राजस्थान राज्य के सीकर जिला में रखा गया इसलिए उन्हें खाटू श्याम बाबा कहा जाता है।
वनवास के दौरान जब पांडव अपनी जान बचाते हुए जगंल में अधर-उधर घूम रहे थे, तो भीम हिडिम्बा से मिले और हिडिम्बा से उन्होंने शादी कर ली, जिससे उनके एक पुत्र हुआ घटोत, घटोत से बर्बरीक हुआ। दोनों ही पिचा और पुत्र भीम की तरह अपनी ताकत और वीरता के लिए प्रसिद्ध थे। जब कौरव और पांडवों के बीच युद्ध होना था, तब बर्बरीक ने युद्ध देखने का निर्णय लिया था। भगवान श्रीकृष्ण ने जब उनसे पूछा वो युद्ध में किसकी तरफ हैं, तो उन्होंने कहा था कि जो पक्ष हारेगा वो उसकी ओर से लड़ेंगे। इसलिए बाबा श्याम को आज भी हारे का सहारा कहा जाता है।
भगवान श्रीकृष्ण युद्ध का परिणाम जानते थे और उन्हें डर था कि कहीं पांडवों के लिए उल्टा न पड़ जाए। ऐसे में भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को रोकने के लिए दान की मांग की। दान में उन्होंने उनसे शीश मांग लिया। दान में बर्बरीक ने उनको शीश दे दिया, लेकिन आखिर तक उन्होंने युद्ध देखने की इच्छा बताई।
श्रीकृष्ण ने इच्छा स्वीकार करते हुए उनका सिर युद्ध वाली जगह पर एक पहाड़ी पर रख दिया। युद्ध के बाद पांडव लड़ने लगे कि युद्ध की जीत का श्रेय किसे जाता है। तब बर्बरीक ने कहा कि उन्हें जीत भगवान श्रीकृष्ण की वजह से मिली है। भगवान श्रीकृष्ण इस बलिदान से प्रसन्न हुए और कलियुग में श्याम के नाम से पूजे जाने का वरदान दे दिया।
सरकारी योजनाओं व जॉब की अपडेट के लिए – यहां क्लिक करें