मां कूष्माण्डा कि आरती – Maa Kushmanda ki Aarti
Maa Kushmanda ki Aarti - चौथा जब नवरात्र हो, कूष्मांडा को ध्याते, जिसने रचा ब्रह्मांड यह, पूजन है उनका......
मां कूष्माण्डा कि आरती Maa Kushmanda ki Aarti
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चौथा जब नवरात्र हो, कूष्मांडा को ध्याते ।
जिसने रचा ब्रह्मांड यह, पूजन है उनका । ।
आद्य शक्ति कहते जिन्हें, अष्टभुजी है रूप ।
इस शक्ति के तेज से कहीं छांव कहीं धूप ।।
कुम्हड़े की बलि करती है तांत्रिक से स्वीकार ।
पेठे से भी रीझती सात्विक करें विचार । ।
क्रोधित जब हो जाए यह उल्टा करे व्यवहार ।
उसको रखती दूर मां, पीड़ा देती अपार । ।
सूर्य चंद्र की रोशनी यह जग में फैलाए ।
शरणागत की मैं आया तू ही राह दिखाए ।।
नवरात्रों की मां कृपा कर दो मां
नवरात्रों की मां कृपा करदो मा ।
जय मां कूष्मांडा मैया ।।
देवी कूष्मांडा मंत्र-
या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्मांडा रूपेण संस्थिता.
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
ध्यान मंत्र:
वन्दे वांछित कामर्थेचन्द्रार्घकृतशेखराम्.
सिंहरूढाअष्टभुजा कुष्माण्डायशस्वनीम् ।।
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च.
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे ।।
वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्.
सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम् ।।
दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दारिद्रादि विनाशिनीम्.
जयंदा धनदां कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम् ।।
जगन्माता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्.
चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम् ।।