ताजा अपडेट के लिए टेलीग्राम चैनल जॉइन करें- Click Here
सक्सेस स्टोरी

मध्यकालीन भारतीय स्थापत्य कला का इतिहास हिंदी में

मध्यकालीन भारतीय स्थापत्य कला का इतिहास हिंदी में


 

राजपूत काल के बाद भारत में तुर्कों के आक्रमण के साथ मध्यकालीन भारत का इतिहास शुरू होता है। 7वीं सदी से 11वीं सदी तक मुस्लिम आक्रमणों का सफल प्रतिरोध भारत के राजपूत राजाओं ने किया। लेकिन तराइन के तीसरे युद्ध के पश्चात भारत में मुस्लिम वास्तुकला का पहला नमूना कुतुबुद्दीन ऐबक के समय से शुरू होता है। मध्यकालीन भारतीय स्थापत्य कला

हालांकि मध्यकालीन भारत के इतिहास के प्रारम्भ में वास्तुकला के वही नमूने देखने को मिलते हैं जो प्राचीन भारत में देखने को मिले थे। उदाहरणतः, कोणार्क का सूर्य मंदिर बारहवीं सदी का है। इसी समय जगन्नाथ मंदिर पुरी का निर्माण हुआ। यह दोनों प्राचीन स्थापत्य शैली में बने हैं।

मुस्लिम आक्रमणों ने भारत के हजारों प्राचीन मंदिरों को बहुत नुकसान पहुंचाया। हालांकि इनमें कई मंदिरों को दोबारा बनवा लिया। इसी प्रकार दक्षिण भारत के मंदिरों को मुस्लिम सेनाओं खासकर अलाउद्दीन खिलजी और मुहम्मद बिन तुगलक की सेनाओं ने काफी नुकसान पहुंचाया। इसके बाद वहाँ पुनः नायकों और विजयनगर साम्राज्य जैसे हिन्दू साम्राज्यों की स्थापना हुई और इन मंदिरों का पुनर्निर्माण हुआ जिससे वे अधिक भव्य होकर उभरे। मदुरई का मीनक्षी मंदिर पूर्ण रूप से ध्वस्त कर दिया गया था किन्तु इसके पुनर्निर्माण के बाद आज यह जिस रूप में बना है वो दुनिया में अप्रतिम है।

12वीं से 13वीं सदी तक भारतीय स्थापत्य कला न केवल भारत में बल्कि भारत के बाहर भी फली- फूली। खमेर साम्राज्य एक हिन्दू और बौध्द साम्राज्य था। इसी काल में कंबोडिया में अंकोरवाट में विष्णु मंदिर बनाया गया जो संपूर्ण विश्व का सबसे बड़ा पूजा स्थल है। बोरोबुदूर, इन्डोनेशिया का बौध्द मन्दिर दुनिया का सबसे बड़ा बौध्द मंदिर है जो 9वीं सदी में बनाया गया।

सल्तनत काल

सल्तनत काल में स्थापत्य कला में मुस्लिम स्थापत्य कला का नमूना देखने को मिलता है। इसमें मस्जिद निर्माण, मीनार निर्माण, गुंबद निर्माण प्रमुख हैं। भारत में गुंबड़ निर्माण इल्तुतमिश ने शुरू कराया।

  • कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद- कुतुबुद्दीन ऐबक ने पृथ्वीराज चौहान के किले की जगह कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद का निर्माण कराया। यह दिल्ली में स्थित है।
  • कुतुबमीनार- इसका निर्माण ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की स्मृति में कुटुबुस्सीन ऐबक ने शुरू कराया। हालांकि इसको इल्तुतमिश ने पूर्ण कराया ।
  • अढ़ाई दिन का झोपड़ा- यह एक मस्जिद है जो अजमेर में है। इस स्थान पर बीसलदेव द्वारा निर्मित सरस्वती मंदिर था जिसे तुड़वाकर अढ़ाई दिन का झोपड़ा बनाया गया।
    बदायूं की जामा मस्जिद- इसका निर्माण इल्तुतमिश ने कराया था। यह अपने समय की सबसे बड़ी मस्जिद है।
  • इनके अतिरिक्त, नसीरुद्दीन महमूद का मकबरा और इल्तुतमिश का मकबरा इल्तुतमिश द्वारा बनवाये गए। ख्वाजा मुइनूद्दीन चिश्ती की दरगाह का निर्माण भी इल्तुतमिश ने कराया। जमात खाँ मस्जिद, अलाई मस्जिद का निर्माण अलाउद्दीन खिलजी ने चिश्ती की दरगाह के पास कराया। गायसुद्दीन का मकबरा मुस्लिम और हिन्दू स्थापत्य कला के मिश्रण का उदाहरण है। अलाउद्दीन खिलजी ने हौज खास, सीरी फोर्ट, अलाई दरवाजे का निर्माण कराया। फिरोज़शाह तुगलक एक स्थापत्य कला का प्रेमी था। उसने हिसार, फिरोजाबाद, फ़तेहाबाद, फिरोज़शाह कोटला, जौनपुर जैसे कई नगरों की स्थापना की थी। फिरोज़शाह का मकबरा हौज खास के पास दिल्ली में स्थित है। खिड़की मस्जिद और काली मस्जिद का निर्माण जूनाशाह ने कराया। बहलोल लोदी का मकबरा सिकंदर लोदी ने बनवाया और सिकंदर लोदी का मकबरा इब्राहिम लोदी ने बनवाया।

 

मध्यकालीन हिन्दू मंदिर

मध्यकालीन भारत में कई हिन्दू मंदिरों का भी निर्माण कराया गया था। इसमें से सबसे प्रमुख मीनाक्षी मंदिर मदुरई में स्थित है। इसे मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर कहा गया है। यहाँ एक पुराना मंदिर था जिसे मलिक काफ़ूर ने नष्ट कर दिया था। इसका पुनर्निर्माण 16वीं -17वीं सदी में नायक राजा विश्वनाथ नायक ने कराया। यह शिव के रूप सुंदरेश्वर और पार्वती के रूप मीनाक्षी को समर्पित है।

  • श्रीरंगनाथस्वामी मंदिर- यह तमिलनाडू के तुरुचिरपल्ली में स्थित है। यह भारत का सबसे बड़ा मंदिर है। यहाँ के पुराने मंदिर को भी अलाउद्दीन खिलजी के सेनापति मलिक काफ़ूर ने नष्ट कर दिया था।
  • पद्मनाभस्वामी मंदिर-यह तिरुवनंतपुरम में स्थित है।

राजस्थानी स्थापत्य कला

सल्तनत काल और मुगल काल में भी राजस्थान में अनेक भव्य किलों, मंदिरों का निर्माण हुआ। 

जैसलमेर किला

इसे राजपूत राजा रावल जैसल ने 1155 ई में बनवाया। यह 1500 फुट लंबा जबकि 750 फुट चौड़ा किला है। आज भी इसमें जैसलमेर के लोग रहते हैं। यह विश्व के गिने चुने लिविंग फोर्ट्स में से एक है। इसमें 7 जैन मंदिर, लक्ष्मीनाथ मंदिर प्रमुख हैं।

चित्तौड़गढ़ किला

चित्तौड़गढ़ किले का इतिहास 7वीं सदी से शुरू होता है। इस किले पर कई बार आक्रमण हुए- अलाउद्दीन खिलजी का आक्रमण (1303), बहादुरशाह का आक्रमण (1535), अकबर का चित्तौड़ का घेरा (1567-68)। इस किले में कई मंदिर हैं। इसमें राणा कुंभा द्वारा बनवाया गया विजय स्तम्भ ही है जो उन्होने मालवा के सुल्तान मुहम्मद शाह प्रथम पर विजय के प्रतीक के रूप में बनवाया। कीर्ति स्तम्भ और महारानी पद्मिनी का महल भी यहीं पर है।

मध्यकालीन भारतीय स्थापत्य कला

कुंभलगढ़ किला

कुंभलगढ़ किला राणा कुंभा द्वारा बनवाया गया। यह राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित है। यह युनेस्को की विश्व धरोहरों में है। यही महाराणा प्रताप का जन्म स्थान है।

आमेर किला

यह जयपुर में स्थित है। इसे राजा मानसिंह ने बनवाया था। इसका निर्माण 1592 में हुआ। यह भी युनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में से एक है।

हवामहल

हवामहल जयपुर मे स्थित है। इसका निर्माण 1799 में पूरा हुआ।

दक्षिण भारतीय मध्य–कालीन स्थापत्य कला

दक्षिण भारत में अलाउद्दीन खिलजी और फिर मुहम्मद बिन तुगलक की सेनाओं ने आक्रमण किया। मुहम्मद बिन तुगलक की अयोग्यताओं के कारण दक्षिण भारत स्वतंत्र हो गया और बहमनी और विजयनगर साम्राज्य की स्थापना हुई। मध्यकालीन भारतीय स्थापत्य कला

बहमनी साम्राज्य और दक्षिण भारतीय मुस्लिम सल्तनत
Bahamni Samrajya की स्थापना 1345 में हुई।

बहमनी साम्राज्य के समय गुलबर्गा के किले का निर्माण हुआ। इसकी मस्जिद स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है। इसके अलावा, बहमनी साम्राज्य में कई मकबरों का निर्माण हुआ।

कालांतर में बहमनी साम्राज्य टूटकर पाँच सल्तनतों में बंट गया- अहमदनगर, बीजापुर, बरार, बीदर, गोलकुंडा। यह सभी अपनी अपनी स्थापत्य कला के लिए जाने जाते हैं।

  • बरार सल्तनत के शासक फ़थुल्लाह इमाद- उल मुल्क द्वारा गाविलगढ़ किला बनवाया गया। गोलकुंडा में कुतुबशाही सल्तनत के मकबरे स्थित हैं। इसमें सुल्तान कुली कुतुबशाह, इब्रहीम कुली कुतुबशाह, मुहम्मद कुली कुतुबशाह, हयात बख्शी बेगम, फातिमा सुल्ताना, कुलसुम बेगम, निज़ामुद्दीन अहमद के मकबरे प्रमुख हैं। यह सब एक ही स्थान पर स्थित हैं। हैदराबाद स्थित चारमीनार का निर्माण 1591 में मुहम्मद कुली कुतुबशाह ने कराया। इसमें चार दरवाजे स्थित हैं। गोलकुंडा की स्थापत्य कला के अन्य उदाहरण मक्का मस्जिद, खैरतबाद मस्जिद (खैरून्निसा बेगम द्वारा बनाई गयी), हयात बक्शी मस्जिद, तारामती बरादरी, टोली मस्जिद इत्यादि हैं।
  • बीजापुर के आदिलशाही सल्तनत में भी स्थापत्य कला का बहुत विकास हुआ। इसमें मुहम्मद अदिल शाह का मकबरा सर्वाधिक प्रमुख है, इसे बनाने में 30 वर्ष लगे थे। इस मकबरे को गोल गुंबज कहा जाता है।
  • बीदर का किला, बीदर शाही राजाओं के मकबरे,बीदर सल्तनत की स्थापत्य क्ला को दर्शाते हैं।

मुगल स्थापत्य कला

मुगल काल में भी स्थापत्य कला का विकास हुआ। शाहजहाँ के काल में स्थापत्य कला चरमोत्कर्ष पर थी।

  • बाबर ने संभल में जामा मस्जिद का निर्माण कराया। इसके अलावा उसने पानीपत में काबुली बाग की मस्जिद का निर्माण कराया। उसके सेनापति मीरबाकी ने 1528 में अयोध्या में राम मंदिर को तोड़कर विवादित बाबरी ढांचे का निर्माण कराया।
  • हुमायूँ के मकबरे का निर्माण अकबर ने दिल्ली में कराया। इसमें सर्वप्रथम संगमरमर का प्रयोग हुआ था।
  • Akbar ने आगरा के लालकिले का निर्माण कराया। उसने अपनी नई राजधानी आगरा से 27 कोस दूर फ़तेहपुर सीकरी में स्थानांतरित की। यहाँ उसने बुलंद दरवाजा, पंचमहल, दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास का निर्माण कराया।
  • अकबर ने फ़तेहपुर सीकरी में जामा मस्जिद, मरियम की कोठी और सलीम चिश्ती के मकबरे का निर्माण कराया।
  • अकबर के मकबरे का निर्माण जहाँगीर ने आगरा में सिकंदरा में कराया।
  • एतमातुददौला का मकबरा नूरजहाँ ने आगरा में बनवाया।
  • जहाँगीर के मकबरे का निर्माण नूरजहाँ ने लाहौर के निकट शाहदरा में कराया।
  • शाहजहाँ का काल स्थापत्य कला का स्वर्णयुग कहा जाता है। उसने दिल्ली में लाल किले का, तथा आगरा में ताजमहल का निर्माण कराया। ताजमहल का वास्तुविद उस्ताद अहमद लाहौरी था। इसके अलावा उसने दिल्ली में मोती मस्जिद एवं भारत की सबसे बड़ी मस्जिद जामा मस्जिद का निर्माण कराया। औरंगजेब ने औरंगाबाद में बीबी का मकबरा बनवाया जिसे ताजमहल की फूहड़ नकल माना जाता है।
हमारे साथ Telegram पर जुड़े Click Here
सरकारी भर्तियों की अपडेट Whatsapp पर लेने के लिए इस नंबर को अपने मोबाइल मे सेव करे ओर Whatsapp से अपना नाम ओर पता लिखकर भेजे 7878656697

 

आज की सरकारी नौकरियों की जानकारी के लिए – यंहा क्लिक करें

 

ताजा अपडेट के लिए टेलीग्राम चैनल जॉइन करें- Click Here

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button