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राष्ट्रीय ध्वज फहराने के नियम, केंद्र सरकार ने नियमो मे किया बदलाव जानिए डिटेल
तिरंगा फहराने के नियम और समय, झंडा फहराने की विधि
राष्ट्रीय ध्वज फहराने के नियम, केंद्र सरकार ने नियमो मे किया बदलाव जानिए डिटेल
तिरंगा फहराने के नियम और समय, झंडा फहराने की विधि, राष्ट्रीय ध्वज फहराने के नियम क्या है। भारत का राष्ट्रीय ध्वज फहराने के नियम क्या है
- राष्ट्रीय ध्वज फटा या मैला नहीं होना चाहिये।
- तिरंगा झंडा खादी, सूती या फिर सिल्क का ही होना चाहिए। प्लास्टिक से बने झंडों का उपयोग वर्जित है।
- ध्वजा फहराने पर उसे सम्मानपूर्ण स्थान देना चाहिए। यानी उसे ऐसे स्थान पर फहराएं जहाँ से वो स्पष्ट रूप से दिखाई दे।
- झंडे पर कुछ भी लिखा या छपा नहीं होना चाहिए।
- किसी दूसरे झंडे / पताका को राष्ट्रीय ध्वज से ऊपर या फिर बराबर में नहीं रखा जा सकता।
- किसी राष्ट्रीय शोक के अवसर पर ही ध्वजा को आधा झुकाया जा सकता है अन्यथा नहीं।
- यदि किसी भवन की खिड़की, बालकनी या अगले हिस्से से झंडे को आड़ा या तिरछा फहराया जाए तो ध्वज को बिगुल की आवाज के साथ ही फहराया और उतारा जा सकता है।
- यदि किसी अधिकारी की गाडी पर लगाया जाए तो झंडा गाडी की दाहिनी ओर या फिर बिलकुल बीच में लगाया जा सकता है।
- मंच पर झंडा फहराने पर इस बात का ध्यान रखें की जब वक्ता का मुख श्रोता की ओर हो तो झंडा उसके दाहिने तरफ ही होना चाहिये।
- ध्वजा सरकारी भवन पर रविवार व अन्य छुट्टियों के दिनों में भी सूर्योदय से सूर्यास्त के समय के मध्य ही फहराया जा सकता है।
- विशेष अवसरों और नियमों के साथ तिरंगा झंडा रात को भी फहराया जा सकता है।
- ध्वज फहराते वक्त सदा स्फ़ूर्ति के साथ फहराएं और उतारते समय इसे आदरपूर्वक उतारें। झंडे को बिगुल की आवाज के साथ ही फहराया और उतारा जाए।
- ध्वज के मैले होने या फटने की स्थिति में उसे एकांत में पूरी तरह से नष्ट करना चाहिए।
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