Karwachauth Ki Vrat Katha

Karwachauth Ki Vrat Katha

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Karwachauth के दिन इसलिए की जाती है चांद की पूजा, जानिए करवा चौथ व्रत कथा और शुभ मुहूर्त

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करवा चौथ व्रत कथा

हिंदू धर्म में करवा चौथ के व्रत का बहुत महत्व है l प्राचीन परंपराओं के साथ ही सभी विवाहित महिलाएं

करवाचौथ का व्रत करती आ रही है l विवाहित महिलाएं करवा चौथ के व्रत को अपने पति की लंबी

आयु के लिए करती हैं l विवाहित व सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ का व्रत बहुत महत्वपूर्ण व स्पेशल होता है l करवा चौथ के दिन सभी महिलाएं निर्जला व्रत धारण करती हैं l करवा चौथ का व्रत हर वर्ष कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखााा जाता  है l

 

2020 में करवा चौथ का व्रत ( karwachauth 2020 date )

इस वर्ष करवा चौथ का व्रत 4 नवंबर 2020 बुधवार को है l

 

करवा चौथ का शुभ मुहूर्त – Karwachauth 2020 Ka Shubh Muhurat

करवा चौथ का व्रत चतुर्थी तिथि – 4 नवंबर को सुबह 03:24 मिनट से 5 नवंबर को सुबह 05:14 मिनट तक l

Karwachauth Puja Muhurat

इस बार करवा चौथ की पूजा का समय शाम 5 बजकर 29 मिनट से शाम 6 बजकर 48 मिनट तक है इस समय के बीच पूजा करना अत्यधिक शुभ माना जाएगा l

 

करवा चौथ के दिन चंद्रोदय का समय

व्रत वाले दिन समझौते का समय रात 8 बजकर16 मिनट पर l

 

चांद निकलने तक रखा जाता है करवा चौथ का व्रत

शास्त्रों में चंद्रमा को सुख-शांति व आयु का प्रतीक माना जाता है l ऐसा माना जाता है

कि चंद्रमा की पूजा करने से वैवाहिक जीवन सुखमय होता है और पति की आयु बढ़ती है l

 

करवा चौथ की व्रत कथा ( karwachauth ki vrat katha )

पौराणिक कथा के अनुसार, एक साहूकार के सात बेटे थे और उसकी एक करवा नाम की बेटी थी। एक बार साहूकार की बेटी को करवा चौथ का व्रत मायके में पड़ा।

जब रात में सभी भाई खाना खा रहे थे तो उन्होंने अपनी बहन से भी खाना खाने के लिए कहा।

लेकिन करवा ने खाना खाने से इनकार कर दिया और कहा कि अभी चांद नहीं निकला है। वह चांद को अर्घ्य देने के बाद ही खाना खाएगी।

भाइयों से बहन की भूखी-प्यासी हालत देखी न गई

तभी सबसे छोटा बाई दूर एक पीपल के पेड़ में दीपक प्रज्वलित कर चढ़ गया।

भाईयों ने करवा से कहा कि चांद निकल आया है और उसे अपना व्रत तोड़ने के लिए कहा।

बहन को भाई की चालाकी समझ नहीं आई और उसने खाना खा लिया।

खाना खाते ही करवा को उसके पति के मौत की खबर मिली।

करवा पति के शव को एक साल लेकर बैठी रही और उसके ऊपर उगने वाली घास को इकट्ठा करती रही। अगले साल करवा चौथ का फिर से विधि विधान से व्रत किया।

जिसके फलस्वरूप करवा का पति फिर से जीवित हो गया।

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