Vaishno Devi Story
Vaishno Devi Story | माँ वैष्णो देवी से जुड़ी कहानी
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Vaishno Devi Story –माँ वैष्णो देवी से जुड़ी कहानी
माँ वैष्णो देवी को लेकर यह मान्यता है की लगभग 700 वर्ष पहले त्रिकुटा पर्वत की तलहटी मे बसे गाँव हंसाली के माँ के उपासक
श्रीधर को माँ वैष्णो देवी ने एक दिव्य कन्या के रूप मे दर्शन दिये ओर उन्हे अपने घर
रने का आदेश दिया ओर वह दिव्य कन्या अंतर ध्यान हो गई ।
श्रीधर एक गरीब ब्राह्मण था ओर इतने बड़े भंडारे का आयोजना करना उसके लिए संभव नहीं था ।
लेकिन उसने उस दिव्य कन्या की आज्ञा के अनुसार पूरे गाँव मे भंडारे का निमंत्रण देने चला ।रास्ते मे पंडित श्रीधर को गुरु गोरखनाथ ओर उसके शिष्य भेरोनाथ मिल गए
श्रीधार ने उन्हे भी माँ के भंडारे मे आने का निमंत्रण दिया
ओर वे सही समय पर अपने 360 शिष्यो के साथ श्रीधर के घर पहुच गए।
श्रीधर बहुत परेशान थे की उन्होने इनते बड़े भंडारे का आयोजन तो कर लिया लेकिन
अब उन्हे भोजन कहा से करवाए इतने मे ही माता रानी दिव्य कन्या के रूप मे प्रकट
होकर सबको उनकी पसंद के अनुसार भोजन करवाने लगी ।
श्रीधर के घर इतने बड़े भंडारे को देखकर सब हैरान थे की एक गरीब ब्राह्मण के पास इतनी सारी सुविधाए कैसे की इसके पास तो खुद खाने ले लिए भी अनाज नहीं था ।
लेकिन ये तो सब माता रानी की कृपा थी ।
सबको अपनी पसंद का भोजन परोसते देखकर भैरोंनाथ ने दिव्य कन्या से मांस की मांग की तब
माता रानी को क्रोध आया ओर वह कन्या बोली की यह एक ब्राह्मण के घर का खाना है यहाँ आपको केवल शुद्ध शाकाहारी भोजन ही मिलेगा ।
भैरोंनाथ हट करने लगा तो वह कन्या वहाँ से अद्रश्य हो गई ।
कन्या के अद्रश्य होने पर भेरोंनाथ ने अपनी योग माया से उस कन्या को त्रिकुटा पर्वत की ओर जाते
देखा ओर उसका पीछा किया।
भेरोंनाथ ने किया माँ वैष्णो देवी का पीछा
भेरोंनाथ ने दिव्य रूपी कन्या का पीछा करते हुये सबसे पहले बाणगंगा
फिर चरण पादुका ओर आदिकुमारी स्थानो से होते हुए माता रानी की उस गुफा तक जा पहुचा जहां पर माता
आदिशक्ति अपने तीन पिंडियो के रूप मे विराजमान है । भेरोंनाथ को यह समझाया गया की वह दिव्य कन्या का पीछा छोड़कर वापस लॉट जाए लेकिन भेरोंनाथ ने अपनी हट नहीं छोड़ी ओर माता को क्रोध आया ओर माता रानी ने अपने त्रिशूल से भेरोंनाथ का सिर धड़ से अलग कर दिया भेरोंनाथ का सिर 2 किलोमीटर दूर जाकर गिरा।
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