वैष्णो देवी यात्रा से जुडी खास जानकारी, वैष्णो देवी जाने से पहले जरूर जान ले
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माँ वैष्णो देवी यात्रा की जानकारी – Vaishno Devi Information
माँ वैष्णो देवी का मंदिर कहाँ पर है, वैष्णो देवी मंदिर जाने पर क्या-क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए, वैष्णो देवी मंदिर में पिण्डी दर्शन के लाभ, वैष्णो देवी की यात्रा कहा से शुरू होती है, वैष्णो देवी यात्रा पर्ची कहाँ से ले और वैष्णो देवी यात्रा पूरी जानकारी के लिए इस पोस्ट को शुरू से लास्ट तक पूरी पढ़े। यदि आप माता वैष्णो देवी की यात्रा करने से पहले यदि यात्रा की जानकारी जान लेंगे तो आपको यात्रा करने मे कोई परेशानी नहीं होगी
जय माँ वैष्णो देवी – Jai Maa Vaishno Devi
माँ एक छोटा सा है लेकिन माँ शब्द का अर्थ बहुत बड़ा है ।
माँ ही इस संसार की जननी है ओर माँ से ही इस संसार व हम सबका जन्म हुआ है । माँ ममता की मूरत है जो हमे पालती-पोसती है ।
जब भी माँ का नाम आता है तो माँ के दर्शन के लिए मन व्याकुल हो जाता है।
माता वैष्णो देवी की यात्रा कहाँ से शुरू होती है – Where Does The Journey Of Mata Vaishno Devi Begin?
श्री वैष्णो देवी की यात्रा कटरा से शुरू होती कटरा माता रानी की यात्रा का आधार शिविर है ।
यहाँ से माता रानी के भक्त पैदल या घोड़ो के द्वारा लगभग 15 किलोमीटर लम्बे मार्ग की यात्रा के लिए निकलते है ।
ओर इससे पहले सभी यात्रियो को कटरा मे पर्ची कटवानी होती है ।
क्योकि आपको उस पर्ची के नंबर के आधार पर ही माता की गुफा मे प्रवेश करने दिया जाता है ।
कटरा से लगभग आधा किलोमीटर दूर त्रिकुट पर्वत के चरणों मे बाणगंगा बहती है ।
माता रानी के भक्त बाणगंगा मे स्नान करके चरण पादुका के दर्शन के लिए आगे बदते है।
जहां पर माता रानी के पाव चिन्हो के निशान है । माता वैष्णो देवी के भक्त चरण पादुका के दर्शन करने के बाद आदिकुमारी के दर्शनों के लिए आगे बढ़ते है । आदिकुमारी कटरा व माता रानी के भवन के बीच का स्थान है। आदिकुमारी तक पहुचते ही भक्तो की आधी यात्रा का सफर पूरा हो जाता है । ओर यहाँ पर गर्भजून गुफा है इस गुफा के अंदर प्रवेश करके निकलना सभी भक्तो के लिए किसी सोभाग्य से कम नहीं है । इस गुफा के बारे मे ऐसा माना जाता है की माता वेष्णो देवी इस गुफा मे 9 माह तक ध्यान करती रही ओर जब ध्यान पूरा हुआ तो बाहर आकार भेरोंनाथ का वध किया था।
गर्भजून गुफा – Garbhoon Cave
इस गुफा में प्रवेश करने पर महसूस होता है जिस प्रकर एक शिशु माँ के गर्भ मे रहता है ।
इसी कारण इस गुफा को गर्भजून गुफा कहाँ जाता है । यहाँ से गुफा तक जाने के दो रास्ते है प्राचीन रास्ता व नवीनतम रास्ता आप किसी भी रास्ते से गुफा तक पहुच सकते है लिकिन नवीनतम रास्ते मे आपको कम दूरी तय करनी होगी ।
हाथी मत्था से सांझी छत का मार्ग तय करके यात्री माता रानी की पवन गुफा तक पहुँचते है।
वैष्णो देवी यात्रियो के लिए आवश्यक जानकारी व सूचनाएँ –
Essential Information For Vaishno Devi Travelers
यदि आप माता वैष्णो देवी के दरबार जा रहे है तो आपको इन बातो का ध्यान रखना होगा
नहीं तो आपको यात्रा करने मे बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
वैष्णो देवी दरबार जाने से पहले आपको कटरा से ‘ यात्रा पर्ची ‘ जरूर लेनी है ।
आपको यात्रा पर्ची बस स्टैंड पर स्थित टुरिस्ट-रिसेप्शन –सेन्टर पर या टाउन हाल पर आसानी से मिल जाएगी ।
आपको यह पर्ची बिलकुल फ्री मे दी जाती है
यदि आपके पास यह यात्रा पर्ची नहीं होगी
तो आपको बाण गंगा से वापिस आना पड़ेगा क्योकि भवन पहुचकर
यह पर्ची दिखने पर ही आपको माता की पवित्र गुफा मे दर्शन के लिए नंबर दिये जाते है।
आपको मोसम के अनुसार जो भी सुविधाए चाहिए वे पूरी लेकर जाए
ओर वर्षा के समय मे आपको छाता जरूर लेकर जाना है ।
ओर इसके अलावा खाने की सामग्री जैसे की बिस्कुट, नमकीन या फिर
आप जो भी खाना पसंद करते हैवो पूरी सामग्री लेकर जाए।
आपको जो भी सामग्री चाहिए ये पूरी सामग्री आपको कटरा मे मिल जाएगी । यदि आप इनको खरीदना नहीं चाहते तो आप इनको किराए पर भी ले सकते है।
खुले पैसे कटरा से माता रानी के दरबार तक जगह-2 पर छोटी-छोटी कन्याओ को बटने के लिए ओर
मंदिरो मे चड़ाने के लिए अपने पास रखे।
गुफा से निकलने वाले जल को लाने के लिए अपने पास बोतल या शीशी जरूर रखे ताकि माता रानी की गुफा से निकले हुये पवित्र जल को प्रसाद के तोर पर आसानी से लाया जा सके।
वैष्णो देवी यात्रियो के लिए आवश्यक जानकारी
Essential Information For Vaishno Devi Travelers
वैष्णो देवी यात्रा
यदि आप इतनी लम्बी को एक दिन मे नहीं कर सकते तो आप आदिकुमारी स्थान पर रुक सकते है ।
इस स्थान पर आने के बाद आपकी आधी यात्रा पूरी हो जाती है । आदिकुमरी तथा माता रानी दरबार दोनों ही स्थानो पर आपको कंबल, दरी, तथा खाना बनाने के बर्तन आदिआपको मिल जाते है इस समान को लेते समय आपसे कुछ पैसे लिए जाते है जो की समान को वापस जमा करवाते समय वापस दे दिये जाते है।
वैष्णो देवी जाने का नया रास्ता – New Way To Go To Vaishno Devi
माता रानी के दरबार मे जाने के लिए नया व छोटा रास्ता बनाया गया है ।
आदिकुमरी से यात्री प्राचीन रास्ते द्वारा हाथी मत्था की तरफ न जाकर,
शिधे व छोटे रास्ते से भवन की ओर जा सकते है ।
इस रास्ते से लगभग 500 मीटर की चड़ाई कम हो जाती है । यह रास्ता सरल व सुविधाजनक है । आदिकुमरी से कुछ दूरी पहले ही इंद्रप्रस्थ नाम का विश्राम स्थल है, आप यहा से छोटे व नए रास्ते मे जा सकते है या फिर आप आदिकुमरी के दर्शन करके भी इस रास्ते से जुड़ सकते है।
आप वैष्णो देवी की यात्रा मे ऊपर बताई गई बातो का ध्यान जरूर रखे
आपको यात्रा मे किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं होगी ओर आपको यात्रा करने मे सहायता मिलेगी
माता वैष्णो देवी के पालकियों, घोड़े-खच्चरो ओर पिटठू की मिलती है सुविधा
Mata Vaishno Devi’s Parents, Horse-Mule And Pitthu Are Available
माता वैष्णो देवी के मंदिर की चड़ाई के बारे मे सुनकर व्रद्ध लोग जाने के लिए माना कर देते है या फिर वे ये सोचते है की इतनी ऊपर चड़ाई नहीं हो पाएगी ओर ये सोचकर ही वे माता के दर्शन के लिए नहीं जा पते लेकिन आपको बता दे की माता के दरबार मे बड़े-बूढ़े सभी जा सकते है जिन लोगो से चड़ाई करना मुश्किल है वे पालकी या फिर घोड़े को किराए पर लेकर अपनी चड़ाई को पूरी करके माता रानी के दरबार जा सकते है ओर छोटे बच्चो या अपने समान को उठाने वाले व्यक्ति को ले सकते है जिसे पिटठू कहते है। माता रानी का दर्शनी दरवाजा इस स्थान पर दो गेट है इनमे से पुराने गेट को दर्शनी दरवाजा कहाँ जाता है ।
दिव्य कन्या भण्डारे वाले स्थान से अद्रस्य होकर दर्शनी दरवाजे से होकर ही त्रिकुट पर्वत की ओर गई थी ।
जो की त्रिकुट पर्वत का सबसे पहला दर्शन स्थल है । इसी लिए इसे दर्शनी दरवाजा कहाँ जाता ये स्थान कटरा से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर है । जिसकी ऊंचाई समुद्रतल से 2800 फिट की है ।
इसी स्थान पर यात्रियो की यात्रा पर्ची को चेक किया जाता है
बिना पर्ची वाले यात्रियो को आगे जाने से रोक दिया जाता है ।
कथा-भूमिका नाम वाले स्थान से गायब होकर पवन रूप मे कन्या-रूपी-महाशक्ति
जब त्रिकुट-पर्वत की ओर जा रही थी तो माता के साथ पवन पुत्र हनुमान जी भी थे ।
जब रास्ते मे हनुमान जी को प्यास लगी तो माता ने बाण मारकर गंगा को बहाया ओर हनुमान जी की प्यास को शांत किया । इसी लिए इस नदी को बाण गंगा कहा जाता है ।
जो की कटरा से लगभग ढाई किलोमीटर तथा समुद्रतल से 2800 फिट है |
चरण पादुका माँ वैष्णो देवी – Charan Paduka Maa Vaishno Devi
इस स्थान पर माता ने रुककर पीछे की ओर देखा तो पीछे भेरोंनाथ आ रहा था
रुकने के कारण इस स्थान पर माता रानी के पग चिन्ह बन गए ओर इस स्थान को चरण पादुका के नाम से जाना जाने लगा ।
माता वैष्णो देवी की यात्रा मे यह दूसरा स्थान है जहां पर जलपान तथा भेंट-सामग्री के लिए कुछ दुकाने है
माता रानी के भक्तो की सुविधा की व्यवस्था श्री माता वैष्णो देवी श्राईन बोर्ड के द्वारा नि:शुल्क की जाती है
आपको यहा पर विश्राम करने के लिए व रुकने के लिए दरी, कम्बल व अन्य सुविधाए मिल जाती है
इंद्रप्रस्थ नाम का विश्रामस्थल –
A Place Of Rest Named Indraprastha
आदिकुमारी स्थान से थोड़ी दूर पहले ही इंद्रप्रस्थ नाम का विश्रामस्थल से नया मार्ग ले सकते है । या फिर आप आदिकुमरी के दर्शन करके भी नए मार्ग से जुड़ सकते है । दूरी मे कोई खास अंतर नहीं है लेकिन माता के भवन की दूरी 500 मीटर ओर लगभग 1000 फिट की चढ़ाई कम हो जाती है |
गर्भजून गुफा जहाँ माता रानी करती रही नो माह तक तपस्या –
Garbjoon Cave Where Mata Rani Kept Doing Penance For No Month
दिव्य कन्या पूरे नो माह तक इसी गुफा मे तपस्या करती रही ।
जिस प्रकार कोई बालक नो माह तक अपनी माँ के गर्भ मे रहता है ये गुफा भी इसी प्रकार है ।
इसकी लिए इस गुफा को गर्भजून गुफा कहाँ जाता है ।
जैसे ही भेरोंनाथ ने माता रानी के आदेश को न मानकर गुफा मे प्रवेश करना चाहा
तो माता ने पीछे अपने त्रिशूल से दूसरा रास्ता बना लिया ।
भक्तो की यह मान्यता है की जो भी भक्त इस गुफा मे प्रवेश करके निकलता है
तो उसके सारे संकट दूर हो जाते है |
वैष्णो देवी सांझी-छत का सुंदर द्र्श्य – Vaishno Devi Sanjhi-Roof Beautiful View
हाथी मत्था की चढ़ाई करके यात्री सांझी-छत पर पाहुचते है । सांझी छत तक पहुचने के बाद माता रानी के दरबार तक केवल सीधा ओर सरल मार्ग ही बचता है । यहा पर जलपान की व्यवस्था ओर विश्राम ग्रह बने हुए है । ओर सांझी छत से यात्री प्राकतीक सुंदर द्र्श्यो को देख सकते है । सांझी छत पर हैलिपैड बनाया गया है । हैलिकॉप्टर से आने वाले यात्री यही पर उतरते है ओर सांझी-छत से ही सवार होकर वापस जाते है |
माता वैष्णो देवी के पिंडी दर्शन – Pindi Darshan of Mata Vaishno Devi
वैष्णो देवी तीनों पिंडियो का परिचय – ये तीनों पिंडिया प्राकृतिक शीलखंड पर उभरी हुई है जो की तामसिक एवं राजसिक शक्ति का प्रतीक है, जो इन भेदो के कारण अलग-अलग रँगो व रुपो मे दिखाई देती है । इन तीनों पिंडियो की विशेषता महाकाली की पिंडी का रंग काला, महाल्क्ष्मी की पिंडी का रंग लाल ओर महासरस्वती की पिंडी का रंग सफ़ेद है । इन तीनों पिंडियो मे बीच वाली पिंडी सबसे बड़ी है जिसे भक्त माँ वैष्णो देवी मानते है |
गुफा के अंदर माँ वैष्णो देवी के पिंडी दर्शन –
Pindi Darshan Of Maa Vaishno Devi Inside The Cave
माता वैष्णो देवी की पवित्र गुफा मे प्रवेश करने से पहले स्नान करना चाहिए
इसके लिए भवन के नीचे स्नान बना हुआ है ।
स्नान के लिए पुरुषो ओर महिलाओ के लिए अलग-अलग व्यवस्था है । ओर इसके बाद टोकन पर मिली संख्या के क्रमानुसार यात्रियो को नंबर से गुफा के अंदर प्रवेश के लिए जाने दिया जाता है । गुफा मे प्रवेश करते ही शीतल जल की जलधारा पैरो को छूती है इस गुफा मे कही पर भी सीधा खड़ा नहीं हुआ जा सकता । इस गुफा का आकार-प्रकार ओर बनावट इस प्रकार से है की इस गुफा की विशेस्ताओ को शब्दो मे बया नहीं किया जा सकता । इस गुफा के महत्व को केवल वे ही जान पाते है जिन्हे दर्शनों का सोभाग्य मिला हो ओर गुफा मे महाल्क्ष्मी, महाकाली, महासरस्वती तीन भव्य-पिंडियो के रूप मे विराजमान है । माता रानी के कुछ भक्त बीच वाली पिंडी को माँ वैष्णो देवी मानते है । ओर यही बैठे पुजारी भेंट लेकर पुजा करावा देते है ।
दर्शन करने के बाद आपको नई गुफा से वापस आना होता है
After Visiting, You Have To Come Back From The New Cave
इस नई गुफा को भक्तो की बढ़ती हुई भीड़ को कम करने व सुविधा के लिए कुछ वर्षो पहले ही बनाया गया है ।
माता रानी के दर्शन करने के बाद अधिकांश लोग कन्याओ की पुजा करते है
ओर प्रसाद के तोर पर हलवा-पूरी बाटते है |
अघार बाबा जित्तो को दिये माता वेष्णो देवी ने साक्षात्कार दर्शन – Mother Veshno Devi Gave Interview To Aghar Baba Jitto
कटरा से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर अधारजित्तो नाम का स्थान है ।
अधार बाबा जित्तो जिनको माता वेष्णो देवी ने साक्षात दर्शन दिये थे । यह स्थान इनका जन्म स्थान है ।
ओर यहा पर एक बावड़ी है जिसमे स्नान करने के बाद भक्त बाबा के दर्शन करते है |
कब जाना चाहिए माता वेष्णो देवी के मंदिर – When Should We Go To The Temple Of Mata Veshno Devi
वैष्णो देवी यात्रा
माता रानी का दरबार अपने भक्तो के लिए हमेशा खुला रहता है आप माँ के दरबार मे कभी भी आ सकते है लेकिन नवरात्रो मे यहाँ पर एक अलग ही द्रश्य देखने को मिलता है ओर माता रानी के मंदिर को खूबशूरती से सजाया जाता है । ओर नवरात्रो मे माँ के दरबार मे भक्तो की भीड़ दर्शन के लिए देखने को मिलती है |
माँ वेष्णो देवी के मंदिर तक कैसे पहुचे – How to Reach The Temple Of Maa Veshno Devi
माता रानी के मंदिर जाने के लिए जम्मू तक बस ओर रेल दोनों प्रकार के साधन मिल जाते है । ओर फिर आपको कटरा से बस मिल जाएगी । ओर वर्तमान मे जम्मू से कटरा तक रेल भी चलने लगी है । जम्मू जो की कटरा से 52 किलोमीटर दूर है यहा पर देश के हर कोने से रेल आती है । ओर यहाँ का निकटतम हवाई अड्डा भी जम्मू है । ओर यदि आप चढ़ाई से बचना चाहते है तो आप हेलिकॉप्टर की टिकट कटवाकर सांझी छत तक की चढ़ाई कर सकते है यह सेवा हर रोज चालू रहती है |
माँ वैष्णो देवी यात्रा मे रुकने का सही स्थान – The Right Place To Stay In Maa Vaishno Devi Yatra
वेष्णो देवी के दरबार जाने वाले भक्तो के लिए रहने की भी व्यवस्था है । कटरा मे धर्मशालाएँ ओर होटल है ओर इसके अलावा गुफा के पास ओर गुफा वाले रास्ते मे भी वैष्णो देवी बोर्ड द्वारा बनाई गई
आधुनिक धर्मशालाए व होटल है,
जहां पर रुकने की अच्छी सुविधाए है |
नोट –
माता वैष्णो देवी यात्रा पर Covid-19 के नियमों की पालना करना जरूरी होगा-
माता वैष्णो यात्रा पर जानें से पहले Covid-19 के नियमों जरूर पढ़ लें –
इस आर्टिकल के द्वारा हमने आपको माँ वैष्णो देवी के मंदिर और यात्रा से जुडी लगभग पूरी जानकारी बताई है ये जानकारी हमने इंटरनेट के द्वारा प्राप्त करके बताई है आप वैष्णो देवी जाने से पहले जानकारी को एक बार वर्तमान समय में इंटरनेट पर जरूर जान लेवे |