छिपकली की पूंछ कटने के बाद भी क्यों हिलती रहती है, जानिए ऐसा क्यों है
छिपकली की पूंछ कटने के बाद भी हिलती है
छिपकली की पूंछ कटने के बाद भी क्यों हिलती रहती है, जानिए ऐसा क्यों है
छिपकली के पास प्राकृतिक तौर पर बचाव का कोई हथियार नहीं होता , इसी कारण से जब उसका किसी बलिष्ट शिकारी से सामना होता है , तो वो अपनी पूँछ गिरा देती है | जब पूँछ फुदक रही होती है तो वो शिकारी का ध्यान भटका देती है और इस समय का उपयोग करके छिपकली भाग जाती है | पूँछ गिराने के दौरान उसकी बहुत सी ऊर्जा नष्ट हो जाती है | छिपकली वापस आकर पूंछ खा सकती थी। इस तरह, छिपकली अपनी पूंछ को गिरते समय खोई हुई ऊर्जा प्राप्त कर सकती है, जो बहुत अधिक वसा जमा करती है | छिपकली की पूंछ कटने के बाद भी हिलती है
वो मुहावरा तो आप सबने भी सुना होगा कि सब निकल गया पूँछ अटक गई | तो मान लेते है कि छिपकली उन सौभाग्यशाली जीवों में से है जिसकी पूँछ अटकती है तो वो छोड़कर भी जा सकती है |
इसे जीव विज्ञान में ऑटोटोमी या सेल्फ अम्प्यूटेशन कहते हैं कि ये सिर्फ छिपकली में ही नहीं बल्कि और भी उभयधारी,सरीसृप जीवों और अकशेरुकी प्राणियों (सबसे अधिक) में होता है क्योंकि इन जीवों में पुनर्जनन (regeneration) की क्षमता होती है | मतलब ये अपने उस अंग को फिर से विकसित कर सकते हैं और समयावधि सबमें अलग-अलग होती है | छिपकली में ये छः महीने से एक साल के बीच में फिर से विकसित हो जाती है।
छिपकली की पूंछ कटने के बाद भी हिलती है
छिपकली की पूँछ में एक line of weakness होती है जिसे फ्रैक्चर प्लेन कहते हैं, जब कभी इस पॉइंट पर उसे तनाव या फिर कुछ भी असामान्य महसूस होता है, वो उस पॉइंट से ही अलग हो जाती है जिसे हम रिफ्लेक्स मसल स्पाज्म या मांसपेशियों की ऐंठन कहते हैं | और उस पूँछ के कंकाल की जगह एक कार्टिलेज रॉड विकसित हो जाती है जोकि इसकी स्पाइनल कॉर्ड से ही बढ़ती है और ये कुछ छोटी और हल्के रंग की होती है |
ये प्रक्रिया उसे प्रकृति की देन है जिसकी सहायता से वो आत्मरक्षा करती है। इससे उसे कोई खून की कमी नहीं होती। और दूसरी महत्वपूर्ण बात यह कि उस पूँछ में चूँकि कुछ समय तक संचरण बना रहता है इसलिए वो कटी पूँछ कुछ देर हिलती है, इससे शत्रु को छिपकली के होने का भ्रम हो जाता है और वो इस आपातकालीन स्थिति से बच निकलती है।
एक ऐसी प्रक्रिया हैं जिसमे जीवों के खोये हुए या कटे हुए अंग उग ( Generate ) आते हैं | जैसे – छिपकली, ऑक्टोपस, तारा मछली, एक्सोलोट्ल्स ( Axolotls ) सैलामेंडर आदि जीवों के शरीर में पुनरुदभवन की अनोखी काबिलियत पायी जाती हैं | जिसके कारण इनके अंग कटने, क्षतिग्रस्त होने पर दोबारा उग आते हैं |
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