भारतीय लोक चित्रकला से जुड़े सभी सवाल यहां जाने, Gk In Hindi
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मिथिला चित्रकला
मिथिला चित्रकला भारत के बिहार और नेपाल की प्रमुख चित्रकला है | मिथिला चित्रकला को मधुबनी चित्रकला भी कहा जाता है | इसका विकास एक घरेलू चित्रकला के रूप में हुआ। यह रंगोली के रूप में शुरू की गयी थी लेकिन आधुनिक काल में इसकी चित्रकारी कपड़ों, कागजों और दीवारों पर भी होने लगी | इसकी प्रमुख विशेषता हिंदू देवी- देवताओं के चित्र, दृश्य चित्रण, पेड़-पौधों, धार्मिक चित्रांकन है | इसमें गहरे रंगों का इस्तेमाल किया जाता है | यह बिहार के मधुबनी, पूर्णिया, सहरसा, दरभंगा, मुजफ्फरपुर जिले में प्रसिद्ध है और यह नेपाल के जनकपुर क्षेत्र में भी प्रसिद्ध है | Gk In Hindi
पहाड़ी चित्रकला
यह भारतीय चित्रकला की राजपूत शैली से प्रभावित है और इस चित्रकला पर मुगल चित्रकला का थोड़ा प्रभाव है | यह जम्मू, हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा, उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में प्रसिद्ध है | स्त्री और पुरुष प्रेम इसकी प्रमुख विशेषता है |
मेवाड़ी चित्रकला
मेवाड़ की चित्रकला एक प्राचीन और आकर्षक चित्रकला है | इसमें रेखाओं, रंग और रूप का बेहद संतुलित ढंग से संयोजन कियागया है | यह राजस्थान के उदयपुर, चित्तौड़गढ़, राजसमंद जिले में प्रसिद्ध है |
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रंगली
रंगोली भारत की प्राचीन लोक चित्रकला है | इस त्यौहारों, उत्सवों, पूजा, व्रत, विवाह आदि उत्सवों के समय बनाया जाता है | इसे मुख्य रूप से धरती पर बनाया जाता है | रंगोली का इतिहास सिंधु घाटी सभ्यता के समय का है | वैदिक काल में भी रंगोली का अत्यधिक महत्व था | रंगोली को उत्तर प्रदेश में ‘चौक पूरना’ , केरल में ‘कोलम’, बिहार में ‘अरीपन’, कर्नाटक में ‘रंगवल्ली’, राजस्थान में ‘मांडना’, बंगाल में ‘अल्पना’, हिमाचल प्रदेश में ‘अदूपना’, उत्तराखंड में ‘थापा’ और ‘ऐपण’, महाराष्ट्र में ‘रंगोली’ आदि नाम से जाना जाता है |
वारली चित्रकला
वारली चित्रकला महाराष्ट्र की वारली जनजाति की प्रमुख चित्रकला है | यह एक विश्व प्रसिद्ध चित्रकला है | इस चित्रकला में देवी- देवताओं के अलावा सामाजिक विषयों के चित्र प्रमुख हैं | वारली चित्रकला मुख्य रूप से उत्सवों पर चित्रित की जाती है | वारली जनजाति महाराष्ट्र के ठाणे जिले मेन पायी जाती है | वारली जनजाति में विवाह के समय यह अनिवार्य रूप से बनाई जाती है | पहले इसे दीवारों पर बनाया जाता था लेकिन अब कपड़ों और कागजों पर भी इसका प्रचलन शुरू हो गया है | इस कला को व्यवहारिक रूप माश नामक व्यक्ति ने दिया | उसने इस कला को ठाणे के बाहर पहुंचाया | शिवराम गोजरे, शरत वलघानी अन्य प्रमुख चित्रकार हैं |
यमुनाघाट चित्रकला
यह चित्रकला उत्तर प्रदेश के मथुरा की प्रमुख चित्रकला है | यह मंदिरों पर बनाई गयी | इसका इतिहास बहुत प्राचीन है | हालांकि इसमें मुगल चित्रकला का प्रभाव आया है लेकिन फिर भी यह एक बेहद खूबसूरत चित्रकारियों में से एक है | इसमें भगवान कृष्ण के जीवन से संबन्धित चित्रकला है जैसे माखन चोरी, रासलीला, प्रेम-लीला आदि | यह मंदिरों की दीवारों के अलावा कागज और कपड़ों पर भी बनाई जाती है | Gk In Hindi
कालीघाट चित्रकला
कालीघाट चित्रकला पश्चिम बंगाल के कोलकाता के निकट कालीघाट में विकसित हुई | इसमें कागज पर गहरे जल रंगों से चित्रकारी की जाती है | इसमें हिन्दू देवी-देवताओं के चित्र प्रमुख हैं | कालीघाट के चित्रों का बंगाली साहित्य, बंगाली संस्कृति पर बड़ा प्रभाव रहा है | इसमें सामाजिक विषयों के भी चित्र बनाए जाते हैं |
पातचित्र
पातचित्र ओडिशा की एक प्रमुख चित्रकला है | इसका विकास 15वीं से 16वीं सदी के बीच हुआ | यह मुखी रूप से दीवारों, कपड़ों, ताड़ के पत्तों पर बनाई जाती है | इसमें जगन्नाथ भगवान, उनकी बहन सुभद्रा का चित्र प्रमुख है |
फाड़ चित्र
फाड़ चित्र राजस्थान के भीलवाडा के प्रमुख चित्र हैं | यह देवताओं और देव-कथाओं से संबन्धित है | यह 700 वर्ष पुरानी चित्रकला है |
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गोंड कला
गोंड कला गोंड जनजाति की चित्रकला है जो मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और झारखंड में प्रमुख है | यह गोदावरी क्षेत्र और संथाल परगना में अधिक प्रमुख है |
तंजौर चित्रकला
यह चित्रकला राजस्थान, गुजरात और बंगाल में प्रसिद्ध है | इसमें पौराणिक कहानियों का मुखी रूप से चित्रण किया गया है | इसमें वीरों की कहानियों का भी चित्रण किया गया है |
कलमकारी चित्रकला
कलमकारी चित्रकला कलम से बनाए गए चित्रों को कहा जाता है | यह मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश में प्रसिद्ध है | आंध्र प्रदेश के श्रीकलहस्ती और मसूलीपट्टनम में यह प्रसिद्ध है | इसका विकास विजयनगर साम्राज्य और गोलकुंडा साम्राज्य में हुआ |
अन्य प्रमुख शैलियाँ
इसी प्रकार भारत में चित्रकला की अन्य प्रमुख शैलियाँ भी प्रमुख हैं | इसमें सोहराई, अल्पना, जैन शैली, बौध्द शैली, अपभ्रंश शैली, बंगाल शैली, जयपुर शैली, बीकानेर शैली, मालवा शैली, किशनगढ़ शैली, कोटा-बूंदी शैली, कांगड़ा- गुलेर शैली, बसौली शैली, गढ़वाल शैली आदि प्रमुख हैं |
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