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Sarkari Yojana

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005

Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act 2005

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005

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हेल्लो दोस्तों आज हम आपको इस पोस्ट में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 क्या है इसके फायदे और रोजगार कैसे मिलेगा के बारें में विस्तार से बताने वाले है तो आप सम्पूर्ण जानकारी के लिए इस आर्टिकल में आखिर तक बने रहे.

राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 में अधिसूचित किया गया की यह उन जिलों को छोड़कर पूरे भारत पर लागू होता है, जहां शत-प्रतिशत शहरी आबादी है. इस अधिनियम में किए गये संशोधन के अनुसार, यह अधिनियम के पहले ‘महात्मा गांधी’ शब्दों का प्रयोग किया गया है. यह एक भारतीय श्रम कानून और एक सामाजिक सुरक्षा योजना है जिसका उद्देश्य काम के अधिकार की गारंटी प्रदान करना है.

रोजगार गारंटी अधिनियम का उद्देश्य

इस योजना के द्वारा सभी घरों में बालिग सदस्य जो काम करना चाहते है उन्हें एक वर्ष में कम से कम 100 दिनों के रोज़गार की गारंटी दी जाती है.

रोजगार गारंटी अधिनियम का उद्देश्य

उत्पादक संपत्ति बनाना और गरीबों के आजीविका संसाधन आधार को मजबूत करना तथा सामाजिक समावेश को सक्रिय रूप से सुनिश्चित करना, और पंचायत राज संस्थाओं को मजबूत बनाना है.

इस योजना के अंतर्गत किए जाने वाले कार्य

  • प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन से संबंधित लोक निर्माण.
  • कमजोर वर्गों के लिए समुदाय या व्यक्तिगत संपत्ति.
  • कॉमन इंफ्रास्ट्रक्चर और रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर.

इन श्रेणियों में कुछ ऐसे कार्य शामिल हैं: भूमि की उत्पादकता में सुधार, बंजर भूमि का विकास, कृषि को बढ़ावा देना, जल संरक्षण, जल संचयन, ग्रामीण स्वच्छता और ग्रामीण सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा भी की जाती है.

MNREGA की विशेषताएं

  • इस योजना में महिलाओं को अधिक प्राथमिकता प्रदान की जाती है.
  • एक वर्ष में कम से कम 100 दिन रोजगार की गारंटी प्रदान की जाती है.
  • आवेदन करने के 15 दिन के अन्दर आपको रोजगार प्रदान किया जाता है.
  • आपको रोजगार आपके आस-पास के क्षेत्र में ही दिया जाता है जो आपके घर से 5 किलोमीटर की दुरी पर हो.
  • श्रमिको को कार्यस्थल पर स्वास्थ्य सुविधाएँ भी उपलब्ध करवाई जाती है.
  • इस योजना के अंतर्गत काम करने वाले सभी लोगो का पूरा रिकॉर्ड रखा जाता है.

रोजगार गारंटी अधिनियम के कार्यान्वयन के लिए वित्त पोषण (फंडिंग)

केंद्र सरकार

  • अकुशल श्रमिकों का शत-प्रतिशत वेतन.
  • कुशल और अर्ध-कुशल श्रमिकों की सामग्री, मजदूरी के खर्चका 75%
  • केंद्रीय रोजगार गारंटी परिषद के खर्चे.
  • केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित प्रशासनिक खर्चे.

बेरोज़गारी भत्ते का भुगतान करने के लिए सरकार के नियम

  • काम पर रिपोर्ट करने के लिए आवेदक को ग्राम पंचायत या पीओ द्वारा निर्देश दिया जाता है कि वह या तो स्वयं काम पर रिपोर्ट करें या अपने घर के कम से कम एक बालिग सदस्य को प्रतिनियुक्त करे.
  • आवेदक के परिवार के बालिग सदस्यों को वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिन का रोजगार मिला हो.
  • आवेदक के परिवारों को उनके वेतन और बेरोजगारी भत्ते से 100 दिनों के वेतन के बराबर की राशि प्राप्त हुई है.
  • कोई आवेदक
  • अपने परिवार को प्रदान किए गए रोजगार को स्वीकार नहीं करता है.
  • कार्य के लिए रिपोर्ट करने के लिए कार्यक्रम अधिकारी या कार्यान्वयन एजेंसी द्वारा अधिसूचित किए जाने के 15 दिनों के अंदर काम पर रिपोर्ट नहीं करता है.
  • लगातार एक सप्ताह से अधिक की अवधि के लिए संबंधित कार्यान्वयन एजेंसी से अनुमति प्राप्त किए बिना काम से अनुपस्थित रहता है या किसी भी महीने में एक सप्ताह से अधिक की कुल अवधि के लिए अनुपस्थित रहता है.

राज्य सरकार

इस प्रकार राज्य सरकार द्वारा भी एक कोष स्थापित किया जाएगा, जिसे राज्य रोजगार गारंटी कोष कहा जाता है. इस अधिनियम की आवश्यकताओं को पूरा करने साथ ही इस अधिनियम का पालन करने के संबंध में प्रशासनिक खर्चों को पूरा करने के लिए निधि में राशि का उपयोग किया जाएगा.

इन गतिविधियों को राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित किया जाता है

  • यदि राज्य सरकार समय पर मजदूरी रोजगार प्रदान नहीं करती है तो बेरोजगारी भत्ता देना होगा.
  • कुशल और अर्ध-कुशल श्रमिकों की सामग्री, मजदूरी, के खर्च का 25%
  • राज्य रोजगार गारंटी परिषद के खर्चे.

प्रमुख पदाधिकारियों की मुख्य भूमिकाऐं और जिम्मेदारियां ग्राम पंचायत

  • पंजीकरण के लिए आवेदन प्राप्त करना
  • पंजीकरण आवेदनों की जांच
  • परिवारों का पंजीकरण
  • जॉब कार्ड जारी करना (जे.सी.)
  • काम के लिए आवेदन प्राप्त करना
  • कार्य के लिए आवेदन पत्रों की दिनांकित रसीदें सौंपना
  • आवेदन जमा करने के 15 दिनों के भीतर सुनिश्चित करना की आवेदक को कार्य आवंटित किया गया है, चाहे कार्यान्वयन एजेंसी कुछ भी हो.
  • समय-समय पर सर्वेक्षण करके काम की मांग और मात्रा का आकलन करना.

ग्राम रोजगार सहायक या रोजगार गारंटी सहायक

  • ग्राम पंचायत स्तर पर मनरेगा कार्यों को क्रियान्वित करने में ग्राम पंचायत की सहायता करना.
  • यह सुनिश्चित करना कि पंजीकरण, जॉब कार्ड वितरण, आदि की प्रक्रिया में कोई कदाचार न हो.
  • ग्राम सभा की बैठकों और सोशल ऑडिटकी सुविधा प्रदान करना.
  • कार्य स्थल पर श्रमिकों की उपस्थिति प्रतिदिन निर्धारित मस्टर रोल के रूप में दर्ज करना.
  • यह निर्तधारित करना कि श्रमिकों के प्रत्येक समूह के लिए कार्यस्थल पर ग्रुप मार्क-आउट दिए गए हैं, ताकि श्रमिकों को पता चले कि हर दिन मजदूरी दर अर्जित करने के लिए कितना आवश्यक आउटपुट दिया जाना है.
  • कार्यस्थल की सुविधा सुनिश्चित करना और श्रमिकों के जॉब कार्ड को नियमित रूप से अपडेट करना.
  • ग्राम पंचायत स्तर पर मनरेगा से संबंधित सभी रजिस्टरों का रखरखाव करना.

मेट्स

  • कार्य स्थलों का पर्यवेक्षण करें.
  • मस्टर रोल में दैनिक उपस्थिति दर्ज करें.
  • काम शुरू करने से पहले मजदूरों के समूहों को दैनिक मार्क-आउट दें.
  • दिन के अंत में माप लें.
  • कार्यस्थलों पर माप पुस्तिका बनाए रखें.
  • जॉब कार्ड में प्रविष्टियां (एंट्री) अपडेट करें.

पंचायत विकास अधिकारी (पीडीओ)

  • जी.पी. द्वारा सौंपे गए सभी कर्तव्य का पालन करना.
  • अन्य पदाधिकारियों का पर्यवेक्षण करना.
  • जो मध्यवर्ती पंचायत, जिला पंचायत या राज्य सरकार द्वारा निर्देशित हैं, ऐसे अन्य कर्तव्यों का पालन करना.
  • मनरेगा का कार्यान्वयन और निगरानी करना.

कनिष्ठ अभियंता (जूनियर इंजीनियर कार्य)

  • कार्य अनुमान तैयार करना.
  • मनरेगा के तहत निर्माण/सिविल कार्यों के लिए कार्यों का लेआउट देना.
  • मनरेगा के सभी कार्यों के लिए तकनीकी स्वीकृति जारी करना.
  • कार्य के निष्पादन की निगरानी करना.
  • तकनीकी पर्यवेक्षण प्रदान करना.
  • माप पुस्तिका में दर्ज मापों को चेक-माप करना.
  • मेट द्वारा लिए गए कार्य के माप को मंज़ूर करना.

मध्यवर्ती पंचायत (इंटरमीडिएट पंचायत)

  • इंटरमीडिएट पंचायत द्वारा निष्पादित किए जाने वाले अपेक्षित परिणामों के साथ कार्यों को स्वीकृति प्रदान करना.
  • प्रत्येक वर्ष 2 अक्टूबर तक जिला पंचायत की अंतिम स्वीकृति को भेजने के लिए प्रखंड स्तरीय योजना की स्वीकृति करना.
  • ग्राम पंचायत और ब्लॉक स्तर पर शुरू की गई परियोजनाओं का पर्यवेक्षण और निगरानी करना.
  • समय-समय पर राज्य परिषद द्वारा सौंपे गये ऐसे अन्य कार्य करना.

कार्यक्रम अधिकारी (प्रोग्राम ऑफिसर / पी.ओ.)

  • ग्राम पंचायतों से प्राप्त समस्त परियोजना प्रस्तावों की संवीक्षा के बाद प्रखंड योजना में समेकित करें तथा प्रत्येक वर्ष 15 सितम्बर तक मध्यवर्ती पंचायत के समक्ष प्रस्तुत करें, स्वीकृत होने के बाद इसे संवीक्षा एवं चकबंदी के लिए जिला पंचायत को प्रस्तुत करना होगा.
  • ब्लॉक योजना के अंतर्गत कार्यों से उत्पन्न होने वाले रोजगार के अवसरों का ब्लॉक में प्रत्येक ग्राम पंचायत में कार्य की मांग के साथ मिलान करना.
  • काम की मांग का आकलन करने के लिए आधारभूत सर्वेक्षण सुनिश्चित करना.
  • सभी मजदूरों को मजदूरी का उचित भुगतान या पी.ओ. द्वारा सुनिश्चित बेरोजगारी भत्ता.

प्राविधिक सहायक (टेक्निकल असिस्टेंट)

  • कार्यों पर ग्राम सभा के संकल्प के अनुसार कार्यों की पहचान.
  • कार्यों का विवरण रिकॉर्ड करना-प्रत्येक सप्ताह या मस्टर रोल के बंद होने के तुरंत बाद, जो भी पहले हो.
  • मेट द्वारा लिए गए कार्य के प्रारंभिक माप को मान्य करना.
  • काम की गुणवत्ता की पूरी जिम्मेदारी लेना.
  • माप पुस्तकों का रखरखाव.

ये भी देखें – राजस्थान सरकारी योजना लिस्ट

ये भी देखें – केंद्र सरकार की योजनाओं की लिस्ट

यह भी देखें – श्रमिक कार्ड का लाभ कैसे मिलेगा

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