राजस्थान अन्नपूर्णा भंडार योजना 2022: Rajasthan Annapurna Bhandar Yojana मे बदलाव की जानकारी
राजस्थान अन्नपूर्णा भंडार योजना का लाभ, अन्नपूर्णा योजना के फायदे
राजस्थान अन्नपूर्णा भंडार योजना 2022: Rajasthan Annapurna Bhandar Yojana मे बदलाव की जानकारी
जाने क्या है राजस्थान अन्नपूर्णा भंडार योजना 2022, Rajasthan Annapurna Bhandar Yojana 2022, लाभ, आवश्यक दस्तावेज़, योग्यता, आवेदन कैसे करे आदि की पूरी जानकारी नीचे देखे ।
Rajasthan Annapurna Bhandar Yojana 2022
राजस्थान अन्नपूर्णा भंडार योजना 2022 क्या है
राजस्थान अन्नपूर्णा भंडार योजना क्या है और आप कैसे इसका लाभ उठा सकते है। प्रदेश सरकार अन्नपूर्णा रसोई योजना का नाम पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नाम पर करने का विचार कर रही है। इस राजस्थान अन्नपूर्णा भंडार योजना के तहत सरकार जरूरतमंदों को सस्ता भोजन व नाश्ता उपलब्ध कराती है। इस योजना को अब चेन्नई की अम्मा रसोई की तर्ज पर चलाने की तैयारी की जा रही है। इस मामले में विभिन्न राज्यों में चल रही ऐसी योजनाओं के अध्ययन के लिए बनाई गई समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। राजस्थान की पिछली वसुंधरा सरकार ने जरूरतमंदों को आठ रूपए में भोजन और पांच रूपए में नाश्ता उपलब्ध कराने के लिए अन्नपूर्णा रसोई योजना शुरू की थी।
यह राजस्थान अन्नपूर्णा भंडार योजना वर्तमान समय में राजस्थान के 191 शहरों में 495 स्थानों पर चल रही है। इसके तहत मोबाइल वैन के जरिए सम्बन्धित शहर के प्रमुख सार्वजनिक स्थानों जैसे अस्पताल, रेलवे स्टेशन, बस अडडा आदि पर यह वैन जा कर जरूरतमंदों को सस्ती दर पर नाश्ता और भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है लेकिन वास्तविक लागत इस कीमत से अधिक आने के चलते संबंधित फर्म को राज्य सरकार की ओर से भरपाई की जा रही है और राजस्थान सरकार को इस योजना पर हर वर्ष 240 करोड़ रुपए खर्च करने पड़ रहे है ।
राजस्थान अन्नपूर्णा भंडार योजना 2022 में मौजूदा सरकार करने वाली है कुछ बदलाव
Rajasthan Annapurna Bhandar Yojana 2022: Changes
अब मौजूदा सरकार इस योजना में बदलाव की तैयारी कर रही है। स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल ने योजना में सुधार करने और इसे अधिक व्यापक बनाने के लिए भारतीय प्रशासनिक सेवा के तीन अधिकारियो को देश में अन्य स्थानों पर चल रही ऐसी ही अन्य योजनाओं का अध्ययन करने की जिम्मेदारी सौंपी थी। इन अधिकारियों ने चेन्नई में चल रही अम्मा सोई योजना और बेंगलुरू की इंदिरा रसोई योजना का अध्ययन कर अपनी रिपाोर्ट मंत्री को सौंप दी है। रिपोर्ट में चेन्नई में चल रही अम्मा रसोई योजना को बेहतर मानते हुए मौजूदा अन्नपूर्णा रसोई योजना में बदलाव की सिफारिश की गई है।
क्यों माना गया है चेन्नई की अम्मा रसोई को सबसे बेहतर
जब मौजूदा सरकार के स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल ने राजस्थान अन्नपूर्णा भंडार योजना में बदलाव के लिए अधिक व्यापक बनाने के लिए भारतीय प्रशासनिक सेवा के तीन अधिकारियो को देश में अन्य स्थानों पर चल रही ऐसी ही अन्य योजनाओं का अध्ययन करने की जिम्मेदारी सौंपी थी तो अधिकारियों अनुसार चेन्नई की अम्मा रसोई योजना सबसे बेहतर थी। अधिकारियों के अनुसार चेन्नई की योजना में मोबाइल वैन की जगह एक निश्चित स्थान पर सस्ता भोजन व नाश्ता उपलब्ध कराया जा रहा है इससे फायदा यह होगा की लोगों को उसी समय पका हुआ गरम व ताजा खाना मिल रहा है। चेन्नई की अम्मा रसोई की व्यवस्था के अनुसार उसी समय भोजन व नाश्ते की प्लेटों की संख्या आवश्यकता के अनुसार कम-ज्यादा की जा सकती है।
यही नहीं चेन्न्ई में इसके जरिए स्वयं सेवी सहायता समूहों की स्थानीय महिलाओं को खाना बनाने की जिम्मेदारी देते हुए वहा पर महिलाओं को रोजगार मिल पा रहा है। स्थायी कैन्टीन होने के कारण ज्यादा लोग हर तरह के मौसम और स्थितियों में इसका लाभ उठा पाते है। अम्मा रसोई के मॉडल में पकाए गए खाने के बजाए वितरित किए गए खाने के आधार पर भुगतान किया जा रहा है।
अधिकारियों द्वारा रिपोर्ट में यह दिए गए हैं सुझाव
शहर की स्थिति को देखते हुए मोबाईल वैन के बजाए स्थायी कैन्टीन्स के माध्यम से भोजन व नाश्ते का वितरण किया जाए और इनकी संख्या का निर्धारण किया जाए।
नगरपालिका क्षेत्रों में 2,नगर परिषद में दो से पांच और नगर निगम क्षेत्र में 5 से 8 कैंन्टीन स्थापित की जा सकती है।
अधिकारियों के सुझाव के अनुसार जयपुर जैसे बडे शहरों मे इनकी संख्या और अधिक हो सकती है। रिपोर्ट में माना गया है कि 120 करोड़ के बजट में प्रदेश में 374 कैन्टीन स्थापित की जा सकती है, जिनमे 600-600 लोगों को प्रतिदिन नाश्ता और खाना दिया जा सकता है।
इसके साथ ही अधिकारियों ने यह सुझाव भी दिया गया है कि योजना की लागत कम करने के लिए सस्ती खाद्य सामग्री सार्वजनिक वितरण प्रणाली से खरीदी जा सकती है। महंगी खाद्य सामग्री उपयोग में लेने पर 120 करोड़ रुपए वार्षिक के बजट में 122 कैन्टीन्स स्थापित की जा सकती है। नाश्ता व भोजन पकाने की जिम्मेदारी स्थानीय स्वयंसेवी सहायता समूहों की महिलाओं की दी जा सकती हैं। इससे महिलाओं को और अधिक रोजगार मिलेगा।
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