RBI MPC Meeting: आज है आरबीआई की स्पेशल मीटिंग, ब्याज दरों में हो सकती है बढ़ोतरी
पिछली बार 0.50% बढ़ी थी ब्याज दर
RBI MPC Meeting: आज है आरबीआई की स्पेशल मीटिंग, ब्याज दरों में हो सकती है बढ़ोतरी
RBI MPC Meeting: गुरुवार को आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की स्पेशल बैठक आयोजित हो रही है। इस बैठक में आरबीआई सरकार को महंगाई को लेकर देने वाले जवाब पर चर्चा करेगा। साथ ही इस बैठक में रेपो रेट में बढ़ोतरी को लेकर भी फैसला हो सकता है। यूएस फेड ने ब्याज दर में 0.75 फीसदी की बढ़ोतरी की है।
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RBI MPC Meeting: जल्द ही आपके होम लोन की ईएमआई बढ़ सकती है। यही नहीं, सभी तरह के लोन पर ब्याज दरें बढ़ने की आशंका है। दरअसल, भारतीय रिजर्व बैंक आज प्रमुख ब्याज दरों में बढ़ोतरी का फैसला ले सकता है। अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व मे बुधवार रात को ही ब्याज दरों में भारी बढ़ोतरी की है। यूएस फेड ने ब्याज दरों को 0.75 फीसदी बढ़ाकर 4 फीसदी कर दिया है। इस बीच आज गुरुवार को आरबीआई ने मौद्रिक नीति समिति (RBI MPC) की एक अतिरिक्त बैठक बुलाई है। इस बैठक में आरबीआई का दरें तय करने वाला पैनल भी होगा। इस बैठक में सरकार को दिये जाने वाले आरबीआई के जवाब पर चर्चा हो सकती है। आरबीआई सरकार को यह जवाब देगा कि वह महंगाई दर को 6 फीसद तक सीमित रखने में क्यों विफल रहा। साथ ही माना जा रहा है कि आरबीआई रेपो रेट (Repo Rate) बढ़ाने का भी फैसला ले सकता है। फेड के ब्याज दरें बढ़ाने के फैसले के बाद इसकी संभावना अब बढ़ गई है।
लंबे समय बाद हो रही अतिरिक्त बैठक
आरबीआई एमपीसी की पिछली स्पेशल बैठक साल 2016 में हुई थी। आरबीआई ने कहा, ‘भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 की धारा 45ZN के प्रावधानों के तहत एमपीसी की एक अतिरिक्त बैठक 3 नवंबर, 2022 को निर्धारित की जा रही है।’ आरबीआई के रेट सेटिंग पैनल की पिछली बैठक 28-30 सितंबर 2022 को हुई थी। इस कैंलेंडर ईयर में आखिरी बार यह बैठक 5-7 दिसंबर को होगी।
पिछली बार 0.50% बढ़ी थी ब्याज दर
आरबीआई ने 30 सितंबर 2022 को पॉलिसी रेपो रेट में 0.50 फीसदी का इजाफा किया था। इससे रेपो रेट बढ़कर 5.9 फीसदी हो गई। इससे लोगों के लिए लोन महंगे हो गए। आरबीआई बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के लिए लगातार ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर रहा है। माना जा रहा है कि इस बार की बैठक में भी आरबीआई रेपो रेट में इजाफा कर सकता है। रेपो रेट में इजाफा होने पर हर तरह के लोन महंगे हो जाएंगे। रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंक आरबीआई से कर्ज लेते हैं। जब बैंक महंगा कर्ज लेंगे, तो वे ग्राहकों को भी महंगा कर्ज देंगे। हालांकि इससे एफडी और आरडी जैसी जमाओं पर भी ब्याज दरें बढ़ जाती हैं।
आरबीआई देगा सरकार को जवाब
आरबीआई अधिनियम की इस धारा में प्रावधान है कि महंगाई को तय सीमा के भीतर रख पाने में नाकाम रहने पर केंद्रीय बैंक इसके बारे में सरकार को जवाब देता है। सरकार ने मुद्रास्फीति को चार फीसदी (दो फीसदी कम या अधिक) पर सीमित रखने का लक्ष्य केंद्रीय बैंक को दिया हुआ है। लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद आरबीआई मुद्रास्फीति को छह फीसदी के भीतर सीमित रख पाने में नाकाम रहा है। इस साल जनवरी से ही मुद्रास्फीति लगातार छह फीसदी के ऊपर बनी हुई है। इस तरह आरबीआई लगातार तीन तिमाहियों से अपने मुद्रास्फीति लक्ष्य को हासिल करने में नाकाम रहा है। लिहाजा वैधानिक प्रावधानों के अनुरूप उसे सरकार को इस पर रिपोर्ट देनी होगी।
सितंबर में बढ़ी है खुदरा महंगाई
केंद्रीय बैंक महंगाई पर काबू पाने के लिए नीतिगत ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर रहे हैं। सितंबर महीने में खुदरा महंगाई दर में बढ़ोतरी दर्ज की गई थी। देश की खुदरा मुद्रास्फीति की दर सितंबर में बढ़कर 7.41 फीसदी हो गई। जबकि, इससे पहले खुदरा महंगाई दर अगस्त में बढ़कर 7.0 फीसदी थी और उससे पहले जुलाई महीने में खुदरा महंगाई दर 6.71 फीसदी थी। आरबीआई पर लगातार महंगाई दर को काबू करने का दबाव बढ़ रहा है।
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