ताजा अपडेट के लिए टेलीग्राम चैनल जॉइन करें- Click Here
यात्रा

किश्तवाड़ की धरती नीलम उगलती है, जानिए खासियत ओर यहाँ घूमने की जानकारी

आप किश्तवाड़ कैसे जाए ओर घूमने की प्रमुख जानकारी ओर दर्शन करने के स्थान कौन-कौन से है

क्या किश्तवाड़ की धरती नीलम उगलती है, जानिए खासियत ओर यहाँ घूमने की जानकारी

नीलम उगलने वाली धरती किशतवाड़ की प्रमुख जानकारी – The land of Kishtwar spills sapphires

SearchDuniya.Com

दोस्तो किशतवाड़ के प्राकृतिक रहस्यो को जानकार आपको बड़ी हैरानी ओर आशय होगा

की क्या इस धरती पर ऐसे भी द्राशय होते है । ओर इसके साथ ही किश्तवाड़ मे बड़े-बड़े पर्वत पहाड़ ओर प्राकृतिक नदियाँ झिले ओर झरने है । जो की हर किसी का मन मोह लेते है ओर इस सुदर नजारे को एक बार देखे पर ऐसा लगता है की इसे देखे है जाए ।

किश्तवाड़ की धरती नीलम उगलती है – The Land Of Kishtwar Spills Sapphires

 

आप किश्तवाड़ कैसे जाए ओर घूमने की प्रमुख जानकारी ओर दर्शन करने के स्थान कौन-कौन से है
आदि की जानकारी के लिए इस पोस्ट को शुरू से लास्ट तक पूरी पढे

 

किश्तवाड़ जाने का रास्ता – The Way To Kishtwar

जम्मू-कश्मीर राजमार्ग पर स्थित बटोर से एक सड़क मार्ग डोडा की तरफ मूड जाता है । डोडा से एक रास्ता भद्रवाह की ओर जाता है तो दूसरा रास्ता चिनाब नदी के किनारे-किनारे किश्तवाड़ तक जाता है । किश्तवाड़ अपने-आप मे एक बहुत ही प्राकृतिक सोन्द्र्येता को समेटा हुआ है जिसे देखते ही हर कोई इस स्थान पर ही रहना चाहता है । ओर यहाँ पर ऊँचे पहाड़ो से घिरे हुए हरे-भरे घास के मेदान जो की लगभग 50 एकड़ भूमि पर फेले हुये है ओर इसके नीचे चिनाब नदी पर्वतो को चीरकर आगे निकल रही है .

 

यहाँ पर देखने योग्य प्रमुख द्र्श्य

किश्तवाड़ के पठार, किश्तवाड़ का किला, गरम व ठंडे पाने चश्मे,

यहा का प्रसिद्ध सरकुत सरोवर, सूफी संतों की जियरतगाह, पोतिनाग झरना आदि यहाँ के प्रमुख देखने योग्य स्थान है |

 

किश्तवाड़ की प्रमुख विशेषता – Key Feature Of Kishtwar

यहाँ के पास वाले पहाड़-क्षेत्र मे बेहतरीन नीलम की खान है । ओर यहाँ आर सीसा व शिलाजीत भी मिले है । इसके अलावा किश्तवाड़ अपने केसर के लिए विश्व प्रसिद्ध है । केसर के अतिरिक्त यहाँ पर ओर भी कई प्रकार के मसले पाये जाते है जैसे – जीरा, चिलगोजा, कस्तुरी व कुठ ओर धूप की खेती भी की जाती है |

 

चंडी माता ( मचेल माता ) के रहस्यमई मंदिर की जानकारी – Information about the mysterious temple of Chandi Mata (Machel Mata)

नैसर्गिक-सौंदर्ये के बीच व ऊँचे पहाड़ो पर मचेल-माता का मंदिर है ।

जिसकी चढ़ाई केवल जुलाई-अगस्त मे है की जाती है ।

माता चंडी के मंदिर की चढ़ाई बहुत ही कठिन ओर मुश्किल है ।

इसकी चढ़ाई के लिए जम्मू से पवित्र छड़ी रवाना होती है । यहाँ का रास्ता दुर्गम होने के कारण यात्रियो को अकेले नहीं जाने दिया जाता है ।

केवल समूह मे ही जाने देते है । जम्मू से लगभग 240 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद छड़ी किश्तवाड़-क्षेत्र मे विश्राम करती है । ओर इसके बाद 65 किलोमीटर का सड़क मार्ग गुलबगढ़ तक का है ओर इसके बाद लगभग 30 कोलोमीटर की पैदल चढ़ाई करनी होती है । यहाँ पर माँ दुर्गा का मंदिर व स्थान है जो की मचेल ग्राम मे होने के कारण मचेलमाता के नाम से विख्यात है ।सन 1834 मे लद्दाख पर चढ़ाई के लिए जाने से पहले जनरल जोरावर सिंह ने माँ दुर्गा का आशीर्वाद लिया थाओर जनरल जोरावर सिंह को सुरू नदी के उद्गम स्थान पर पर्वतो को पार करने मे कोई परेशानी नहीं हुई । ओर इस स्थान पर जोरावर सिंह के 5000 जवानो ने स्थानीय भोटी सेनो को हराकर लद्दाख प0आर अपना अधिकार किया था । जोरावर सिंह इस विजय के बाद माँ दुर्गा का भक्त बन गया ।

मचेल बहुत ही सुन्दर पहाड़ियो से घिरा हुआ है

जिसे देखकर मन को बड़ा ही आनंद मिलता है । यहाँ पर रात्री के समय मे यात्रा नहीं करनी चाहिए

ताजा अपडेट के लिए टेलीग्राम चैनल जॉइन करें- Click Here

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button