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मंदिर

बर्बरीक से खाटू श्याम कैसे बने जानिए

खाटू श्याम जी का इतिहास, हारे का सहारा बाबा श्याम हमारा

बर्बरीक से खाटू श्याम कैसे बने जानिए: पौराणिक कथाओं और मान्यताओ के अनुसार महाभारत युद्ध के समय बर्बरीक ने अपनी माँ को वचन देते है की वो हमेशा कमजोर और निर्वल पक्ष की और से युद्ध करेंगे और उन्होंने ने ऐसा ही किया और पांडवो के पक्ष से लड़ने की सोचा।

बर्बरीक से खाटू श्याम कैसे बने जानिए

खाटू श्याम की महिमा जानिए बर्बरीक भगवान श्री कृष्ण जी के पास कुरुक्षेत्र में पहुंचते है तब श्री कृष्ण जी कहते है की आप कमजोर निर्बल के पक्ष से युद्ध करना चाहते है वो ठीक है।

लेकिन हर क्षण में आपसे दूसरा पक्ष हार जायेगा और वो कमजोर पड़ जायेगा क्योंकि कुरुक्षेत्र के इस युद्ध में भाग लेने वाला कोई योद्धा आपके बाणो का सामना नहीं कर पायेगा ये मै भली भांति जनता हु।

भगवान श्री कृष्ण जी की यह बात सुनकर तब बर्बरीक ने कृष्ण जी से कहते है प्रभु अब मै क्या करू मै तो वचन बद्ध हु तब भगवान कहते है बर्बरीक अब तुम्हे मरना होगा और उसी क्षण श्री कृष्ण जी ने बर्बरीक से उनका शीश मांग लेते है।

ये सुनकर बर्बरीक को जरा भी हिचकिचाहट न करते हुए उन्होंने पल भर में अपने सर को धड़ से अलग कर प्रभु के चरणों में रख दिया।

तब भगवान उनसे प्रसन्न होकर उन्हें वचन देते है की हे शीश के दानी आज से मे तुम्हे अपना नाम देता हु और कलयुग में तुम्हे ये पूरी दुनिया मेरे नाम श्याम के रूप में पूजेंगे तब से बर्बरीक का नाम खाटू श्याम पड़ा और आज हम सब और ये पूरी दुनिया उन्हे हारे का सहारा बाबा श्याम हमारा के नाम से पूजते है।

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